इंदौर:कोरोना काल के दो साल बाद एक बार फिर इंदौर के समीप गौतमपुरा में बुधवार को पारंपरिक हिंगोट युद्ध खेला गया। गांव की इस अनूठी परंपरा के साक्षी हजारों ग्रामीण बने। गौतमपुरा-रूणजी गांव की कलंगी और तुर्रा टीमें आमने-सामने थीं। सूरज के डूबते ही दोनों टीमें गांव के देवनारायण मंदिर में दर्शन के लिए पहुंची। फिर युद्ध के मैदान में नजर आईं।
बता दें कि तरकश में हिंगोट भरे थे। एक हाथ में हिंगोट से बचने के लिए लकड़ी की ढाले थे। जलते हिंगोट जानलेवा साबित न हों, इसलिए ज्यादातर योद्धा सिर पर साफा पहने हुए थे। युद्ध की शुरुआत होते ही एक दूसरे पर आग में जलते हिंगोट फेंके गए। हिंगोट के कारण कुछ योद्धाओं को मामूली चोटें आईं।
आग के कुछ गोले दर्शक दीर्घा में भी पहुंचे, हालांकि कोई घायल नहीं हुआ। दर्शकों को हिंगोट से बचाने के लिए प्रशासन ने लोहे की जालियां लगाई थीं। यह युद्ध करीब एक घंटे तक चला। इस युद्ध में किसी की हार नहीं हुई, बस परंपरा का निर्वाह होने से दोनों टीमों ने ग्रामीणों का दिल जीत लिया। युद्ध खत्म होने के बाद कलंगी और तुर्रा के योद्धाओं ने आपस में गले मिले और फिर अपने-अपने घरों की तरफ लौट गए।