कारखानों में काम आने वाले मिथेनाल और औद्योगिक एल्कोहल से बन रही जहरीली शराब!

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इंदौर।

कारखानों में उपयोग होने वाले मिथेनाल और औद्योगिक एल्कोहल (स्पिरिट) की चोरी करके इससे जहरीली शराब बनाई जा रही है। यह दोनों केमिकल मानव स्वास्थ्य के लिए घातक होने के बावजूद नशे का कारोबार करने वाले इससे शराब बनाने की हिमाकत कर रहे हैं। जहरीली और नकली शराब से होने वाली मौतों से चिंतित प्रशासन और पुलिस ने अब मिथेनाल आैर स्पिरिट के दुरुपयोग पर नकेल कसने की तैयारी की है। इसके लिए हर स्तर पर निगरानी की जाएगी। इसमें उद्योग विभाग की भी मदद ली जाएगी।

इंदौर जिला प्रशासन ने तय किया है? कि औद्योगिक स्पिरिट के दुरुपयोग को लेकर इंदौर, पीथमपुर और देवास में मिथेनाल और औद्योगिक स्पिरिट का उपयोग करने वाले उद्योगों की सूची बनाई जाएगी। इन उद्योगों से यह जानकारी भी जुटाई जाएगी कि उनको औद्योगिक स्पिरिट का आपूर्तिकर्ता कौन है? औद्योगिक स्पिरिट का परिवहन करने वाले टैंकरों की निगरानी के लिए क्या व्यवस्था है? ताकि रास्ते में यह स्पिरिट न उतारा जा सके।

कलेक्टर मनीषसिंह ने इसकी जिम्मेदारी जिला उद्योग केंद्र और एकेवीएन के अधिकारियों को सौंपी है। इसके लिए आयोजित बैठक में कलेक्टर मनीषसिंह, डीआइजी मनीष कपूरिया, आबकारी विभाग के सहायक आयुक्त राजनारायण सोनी, जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक अजयसिंह चौहान, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी आरके गुप्ता आदि मौजूद थे। उल्लेखनीय है कि मिथेनाल और औद्योगिक एल्कोहल के उपयोग के लिए अनुमति और दुरुपयोग पर कार्रवाई आदि को भारत सरकार के विष अधिनियम-1919 के तहत शामिल किया गया है।

इसके अलावा राज्य शासन ने भी इस पर नियंत्रण के लिए कानून बनाया है। फिलहाल इस पर उद्योग विभाग और अन्य संबंधित विभागों की ओर से प्रभावी कार्रवाई नहीं हो रही है। निगरानी और कार्रवाई की कोई पुख्ता व्यवस्था न होने से ही उद्योगों में जाने वाले मिथेनाल और औद्योगिक स्पिरिट के परिवहन के दौरान टैंकरों से इसकी चोरी हो जाती है। यही स्पिरिट अवैध शराब के कारोबारियों के हत्थे चढ़ता है और जानलेवा शराब के रूप में पीने वालों तक पहुंच जाता है। पर जहरीली शराब से होने वाली मौतों के बाद संबंधित विभागों का ध्यान इस पर गया है।

तोड़ा जाएगा शराब की बोतल का ऊपरी हिस्सा ताकि न हो पाए दोबारा उपयोग

नकली शराब बनाने वाले विदेशी शराब की पुरानी बोतलों में अपनी बनाई शराब भर देते हैं। साथ ही इस बोतल पर शराब कंपनी का फर्जी लेबल लगा देते हैं। इसे लेकर तय हुआ कि यदि शराब की बोतल का ऊपरी हिस्सा तोड़ दिया जाए तो इसका दोबारा उपयोग नहीं हो पाएगा। इसके लिए मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई कि वे ऐसी छोटी मशीन उपलब्ध कराएं जिससे शराब की बोतल का ऊपरी हिस्सा क्रश किया जा सके। बार संचालकों को भी यह मशीन दी जाएगी। प्रशासन द्वारा कबाड़ियों की बैठक भी ली जाएगी और उन्हें साफ किया जाएगा कि उनके पास कबाड़ में आने वाली शराब की बाेतलों का दोबारा उपयोग न हो।

ढाबों में शराब बिकते मिली तो नपेंगे एडीओ और थाना प्रभारी

शहर के अंदर और बाहरी हिस्सों, बायपास और हाइवे पर ढाबों में शराब बिकते पाई गई तो संबंधित क्षेत्र के थाना प्रभारी और सहायक जिला आबकारी अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार होंगे। कलेक्टर सिंह ने कहा कि यदि किसी क्षेत्र में अवैध तरीके से शराब बिक रही है तो यह नहीं हो सकता है कि वहां के थाना प्रभारी और आबकारी अधिकारी को इसकी जानकारी ही न हो। अब दोनों जिम्मेदार ठहराए जाएंगे और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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