
भोपाल । केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा अब प्रदेश के दुग्ध उत्पादक किसानों को पेंशन प्रदान की जाएगी। इस योजना से प्रदेश के 2.68 लाख से अधिक किसान लाभांवित होंगे। प्रदेश में दूध बेचने वाले किसानों को हर माह 3000 रुपये पेंशन मिलेगी। पेंशन पाने के लिए 18 से 40 साल उम्र के किसानों को हर माह 55 से 200 रुपये प्रीमियम भरनी होगी। इतनी ही राशि सरकार अपनी तरफ से प्रीमियम में मिलाएगी। 60 साल की उम्र होने पर पेंशन मिलनी शुरू हो जाएगी। सहकारी दुग्ध उत्पादक समितियों में दूध बेचने वाले किसान ही पात्र होंगे। प्रदेश में पहली बार दूध बेचने वाले किसानों को पेंशन मिलेगी। मप्र को-ऑपेरेटिव डेयरी फेडरेशन (एमपीसीडीएफ) ने किसानों की जानकारी मंगवा ली है, उन्हें सहमति के आधार पर पेंशन के लिए पंजीकृत किया जा रहा है। यह पेंशन केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा दी जाएगी। पेंशन की पात्रता के लिए किसान दुग्ध उत्पादक समितियों के सक्रिय सदस्य होने चाहिए। एक या एक से अधिक दूधारू पशु होने चाहिए। खरीदकर समितियों में दूध बेचने वाल किसान पात्र नहीं होंगे। समितियों में साल भर में 180 दिन दूध बेचा हो या फिर साल भर में 500 लीटर दूध बेचा गया हो। दोनों में से एक शर्त पूरी करने वाले किसान पात्र होंगे। पेंशन तभी मिलेगी, जब संबंधित किसान सदस्य इसके लिए सहमति देंगे। सहमति के आधार पर बेचे गए दूध की राशि में से प्रीमियम की राशि काटी जाएगी। इच्छुक किसान अलग से भी प्रीमियम का भुगतान कर सकते हैं। किसानों को उम्र के आधार पर प्रीमियम राशि देनी होगी। जिनकी उम्र 18 साल या उससे अधिक हैं उन्हें मात्र महीने में 55 से 100 रुपये तक प्रीमियम लगेगी। अधिक उम्र के किसानों को 200 रुपये तक प्रीमियम राशि चुकानी होगी। इस बारे में एमडी एमपीसीडीएफ भोपाल शमीम उद्दीन का कहना है कि यह पेंशन योजना केंद्र सरकार की है जो कि स्वैच्छिक है। किसानों से सहमति लेकर केंद्र सरकार को जानकारी भेजेंगे। सभी दुग्ध संघों से सक्रिय सदस्यों की सहमति मंगवा रहे हैं। अच्छी योजना है, प्रीमियम का आधा खर्च सरकार उठाएगी। ज्यादातर किसान पेंशन पाने के लिए इच्छुक है।