इंदौर बायपास पर एक पूर्व जैसे हालात बनने लगे हैं, रोजी-रोटी की तलाश में मुंबई गए प्रवासी मजदूर वापस लौटने लगे हैं। पिछले वर्ष भी इन दिनों ऐसे ही दृष्य देखने को मिले थे जहां भूखे-प्यासे मजदूर बदहवास दौड़ते दिखाइ दे रहे थे। अब इस वर्ष भी लोग दो जून की रोटी और बोरियां-बिस्तर बांध कर घर जा रहे है। सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश) का रिक्शा चालक मोहम्मद असलम के मुताबिक लाकडाउन खुलने पर कुछ दिनों पूर्व ही मुंबई लौटा था। पत्नी और बच्चों को लेकर नहीं ले गया क्योंकि अभी भी कोरोना खत्म नहीं हुआ था। रिक्शा चलाकर दिन गुजारने वाले असलम ने एक महीने पहले ही पत्नी से कहा था गाड़ी पटरी पर लौटने लगी है, मुंबई आने की तैयारी कर लो। अचानक मुंबई में कोरोना ने पैर पसारे और चारों तरफ हाहाकर मच गया। रोज कमाने खाने वालों को भूखों मरने की नौबत आ गई। 4 हजार रुपये रोज कमाने वाला असलम पचास रुपये भी मुश्किल से घर ले जा रहा था।अंततः उसने घर लौटने का मन बनाया और रिश्तेदार साहिल, निशार, जिशान, सिराज के साथ सुल्तानपुर के लिए रवाना हो गया। जिशान के मुताबिक पिछली बार भी ऐसे ही दिन देखने को मिलें थे। उस वक्त तो हमें साधन तक नहीं मिला और ट्रक में बैठ कर जाना पड़ा। इस बार हम खुद के आटो रिक्शा से घर जा रहे है। शुक्रवार चार बजे ठाणे से निकले असलम और उसके साथियों ने खाना भी बांध लिया था। जहां जगह दिखी वहां खाना खाया और बारी-बारी से रिक्शा चलाते हुए रवाना हो गए। सिराज के मुताबिक रोड खाली मिला तो रविवार दोपहर कर घर पहुंच जाएंगे। जाम लगने और रिक्शा रुकने पर रात भी हो सकती है।
यूरेशियन समूह ने दी भारत को उच्चतम रेटिंग, कहा आतंकवाद मिटाने में अहम भूमिका निभाई
इंदौर में 41वीं ईएजी प्लेनरी बैठक का गरिमामय शुभारंभ हुआ। वेलकम सेशन में EAG के अध्यक्ष एवं विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में मध्य प्रदेश के नगरीय विकास…