मध्‍यप्रदेश में महापौर अध्यादेश पर राज्यपाल का तन्खा को तीखा जवाब, कही ये बात

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भोपाल। मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने बयान जारी कर प्रदेश कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य और देश के जाने माने वकील विवेक तन्खा को तीखा जवाब दिया है। उन्होंने बगैर नाम लिखे तन्खा को हिदायत दी है कि राज्यपाल के पद की गरिमा निष्पक्ष और निर्विवादित है। इस पर किसी प्रकार प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष दबाव बनाना संवैधानिक मर्यादाओं का उलंघन है। याद रहे कि तन्खा ने तीन दिन पहले एक ट्वीट कर राज्यपाल को समझाइश दी थी कि वे महापौर अध्यादेश को न रोकें। तन्खा के ट्वीट से नाराज राज्यपाल को मनाने सोमवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ स्वयं राजभवन पहुंचे थे। राज्यपाल ने मंगलवार को अध्यादेश को मंजूरी देते हुए एक लंबा बयान भी जारी किया है।  
दरअसल मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार चाहती है कि महापौर का चुनाव सीधे मतदान कराने के बजाए पार्षदों के द्वारा कराए जाएं। इसके लिए सरकार ने मध्यप्रदेश नगर पालिका विधि संशोधन अध्यादेश 2019 को राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेजा था। राज्यपाल अध्यादेश पर विचार कर रहे थे इसी बीच कांग्रेस विधि विभाग  के राष्ट्रीय अध्यक्ष, देश के जाने माने वकील, कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने एक ट्वीट कर दिया। अपने ट्वीट में तन्खा ने लिखा कि ‘सम्मानीय राज्यपाल आप एक कुशल प्रशासक थे और हैं। संविधान में राज्यपाल कैबिनेट की अनुशंसा के तहत कार्य करते हैं। इसे राज्य धर्म कहते हैं। विपक्ष की बात सुनें मगर महापौर चुनाव बिल को न रोकें। यह गलत परंपरा होगी। जरा सोचिए।’ तन्खा के इस ट्वीट के बाद राजभवन ने उक्त अध्यादेश को न केवल होल्ड कर दिया बल्कि शासन को संदेश भी भेज दिया। तन्खा के ट्वीट के बाद प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह और मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल से मुलाकात की और अध्यादेश के बारे में सफाई दी।  
विवेक तन्खा के ट्वीट पर मचे हंगामे के बीच सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और शिवराज सिंह चौहान भी राज्यपाल से मिलने पहुंचे। चौहान ने मीडिया को बयान दिया कि राज्यपाल अनुभव की भट्टी में तपे हुए नेता हैं, उन्हें कोई संविधान का पाठ न पढ़ाए। चौहान के बयान के कुछ दिन बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ स्वयं राजभवन पहुंचे और उन्होंने राज्यपाल से मुलाकात के बाद (शायद राज्यपाल से किए वायदे के अनुसार) विधिवत बयान जारी कर विवेक तन्खा के बयान से पल्ला झाड़ते हुए साफ किया कि सरकार का उनके बयान से कोई लेना देना नहीं है। विवेक तन्खा का ट्वीट उनके निजी विचार हैं।  
मुख्यमंत्री के सार्वजनिक बयान के बाद राज्यपाल टंडन ने मंगलवार को दोपहर अध्यादेश को मंजूरी देते हुए राजभवन से एक लंबा बयान भी जारी कराया। इस बयान में साफ लिखा गया है कि मुख्यमंत्री ने राज्यपाल से मुलाकात में स्पष्ट कर दिया है कि जिन्होंने राजभवन की गरिमा के खिलाफ सार्वजनिक चर्चा का विषय बनाकर राज्यपाल पर दबाव बनाने का प्रयास किया वह उनके निजी विचार हैं। सरकार का उनसे कोई लेना देना नहीं है। लोकतंत्र में स्वस्थ मर्यादाओं का पालन जरूरी है। राजभवन से जारी इसी बयान में कहा गया कि राज्यपाल टंडन का दृढ़ अभिमत है कि संवैधानिक पदों के विवेकाधिकार पर टीका टिप्पणी करना संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन है। लोकतांत्रिक परंपराओं के लिए हानिकारक भी है। 

विवेक तन्खा हुए मौन 
इस पूरे मुद्दे पर फिलहाल विवेक तन्खा की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। तन्खा के ट्वीट और मुख्यमंत्री द्वारा उससे पल्ला झाडऩे से यह स्पष्ट हो गया है कि महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी कांग्रेस में विचार विमर्श और रणनीति बनाने की परंपरा थम गई है। 

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