रूस-यूक्रेन युद्ध ने बिगाड़ा भारत का प्लान, LIC के IPO को टाल सकती है सरकार

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भोपाल। रूस-यूक्रेन के बीच सीमा विवाद को लेकर चल रहे युद्ध का असर वैश्विक वित्तीय बाजारों पर पड़ने लगा है. जिसको देखते हुए भारत सरकार एलआईसी (LIC IPO) के मेगा आईपीओ को कुछ वक्त के लिए टाल सकती है. बताया जा रहा है कि सरकार बीमा कंपनी में अपनी हिस्सेदारी का अधिकतम मूल्य प्राप्त करने के लिए उपयुक्त समय की प्रतीक्षा कर सकती है. अगर ऐसा हुआ तो सरकार इस साल के विनिवेश के लक्ष्य से कोसों दूर रहेगी. एक सरकारी सूत्र ने कहा, यह अब पूरी तरह से युद्ध है इसलिए हमें एलआईसी आईपीओ के साथ आगे बढ़ने के लिए स्थिति का आकलन करना होगा, हो सकता है सरकार इसे अगले वित्त वर्ष के लिए टाल दे. आईपीओ के इसी महीने बाजार में आने की उम्मीद थी.

विनिवेश लक्ष्य को बड़े अंतर से पूरा नहीं कर पाएगी सरकार
सरकार चालू वित्त वर्ष में 78,000 करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए जीवन बीमा फर्म में 5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर 63,000 करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद कर रही थी. यदि एलआईसी के आईपीओ को अगले वित्त वर्ष के लिए टाल दिया जाता है तो सरकार संशोधित विनिवेश लक्ष्य को बड़े अंतर से पूरा नहीं कर पाएगी. इस वित्त वर्ष में अब तक सरकार सीपीएसई के विनिवेश और एयर इंडिया की रणनीतिक बिक्री के जरिए 12,030 करोड़ रुपये जुटा चुकी है. सरकार ने पहले 2021-22 के दौरान विनिवेश से 1.75 लाख रुपये जुटाने का अनुमान लगाया था. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी उभरती भू-राजनीतिक स्थिति को देखते हुए एलआईसी के आईपीओ की समीक्षा किए जाने के संकेत दिए थे.

LIC में सरकार की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी
एलआईसी में सरकार की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी या 632.49 करोड़ से अधिक शेयर हैं. शेयरों का अंकित मूल्य 10 रुपये प्रति शेयर है. एलआईसी पब्लिक इश्यू भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में सबसे बड़ा आईपीओ होगा. एक बार लिस्टेड होने के बाद एलआईसी का बाजार मूल्यांकन आरआईएल और टीसीएस जैसी शीर्ष कंपनियों के आसपास होगा. अब तक, 2021 में पेटीएम के आईपीओ से जुटाई गई राशि 18,300 करोड़ रुपये में सबसे बड़ी थी, इसके बाद कोल इंडिया (2010) लगभग 15,500 करोड़ रुपये और रिलायंस पावर (2008) 11,700 करोड़ रुपये थी. सरकार ने एलआईसी के विनिवेश की सुविधा के लिए इस सार्वजनिक कंपनी में स्वचालित मार्ग से 20 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दी थी. इस संबंध में निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लिया था.

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