पटना: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर राष्ट्रीय राजनीति को दिशा देना चाहते हैं. पिछले कुछ सालों से प्रशांत किशोर लगातार बीजेपी विरोधी खेमे को मजबूत कर रहे हैं. प्रशांत किशोर की नजदीकियां राहुल गांधी, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, चंद्रशेखर राव और अखिलेश यादव से जगजाहिर है. तमाम नेताओं से मिलकर वह तीसरे मोर्चे की मुहिम को ताकत देना चाहते हैं.
2013 में प्रशांत किशोर नीतीश कुमार के साथ आए थे और प्रशांत किशोर के प्रयासों के बाद लालू प्रसाद यादव से समझौता हुआ था. बिहार में महागठबंधन को भारी जीत मिली थी. प्रशांत किशोर को नीतीश कुमार ने पहले तो मंत्री का दर्जा दिया उसके बाद पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बनाया. नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को एक तरीके से उत्तराधिकारी भी करार दिया था बाद के दिनों में आरसीपी सिंह से टकराव और बड़बोले पन के चलते प्रशांत किशोर को पार्टी से निष्कासित किया गया.
बीजेपी और जदयू के रिश्तों में तनाव है. स्पेशल स्टेटस, जातिगत जनगणना और यूपी चुनाव में गठबंधन को लेकर दोनों दलों के बीच तलवारें खिची हैं. दोनों ओर से तल्ख टिप्पणी भी की जा रही है. हालांकि, पीएम मोदी ने नीतीश कुमार को समाजवादी करार देकर तनाव को कम करने की कोशिश की है. जहां तक सवाल प्रशांत किशोर का है तो पीके पिछले कुछ सालों से लगातार भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं. सीएओ, एनआरसी और एनपीआर को लेकर प्रशांत किशोर ने बीजेपी को चौतरफा घेरा और 1 तरीके से केंद्र की नीतियों को लेकर अभियान छेड़ दिया.
जिस प्रशांत किशोर ने बीजेपी के लिए कदम-कदम पर मुश्किलें खड़ी कीं, उस प्रशांत किशोर से मुलाकात कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कम से कम बीजेपी को संकेत जरूर दे दिया है. दरअसल, 2024 लोकसभा चुनाव पर नीतीश कुमार की नजर है. प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर वो एक बार भाग्य आजमाना चाहते हैं. जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी इसे लेकर प्रस्ताव पारित किया गया था और प्रशांत किशोर ने भी नीतीश कुमार को नरेंद्र मोदी के बाद सशक्त उम्मीदवार करार दिया है.
प्रशांत किशोर के जरिए नीतीश कुमार एक तीर से कई निशाना साधना चाहते हैं. एक ओर जहां बीजेपी के लिए असहज स्थिति होगी. वहीं, दूसरी तरफ आरसीपी सिंह और ललन सिंह के बाद एक तीसरा कोण बन जाएगा. बीजेपी जहां आरसीपी सिंह को मंत्री बनाकर सहज महसूस कर रही थी. अब पीके को अपने खेमे में लाकर नीतीश कुमार बीजेपी के लिए असहज स्थिति पैदा कर देंगे.
इस बारे में राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर संजय कुमार का कहना है कि प्रशांत किशोर और नीतीश कुमार की मुलाकात राजनीति के नए गुल खिला सकती है. नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षा एक बार राष्ट्रीय राजनीति में भाग्य आजमाने की है और प्रशांत किशोर की भूमिका उसमें अहम हो सकती है. प्रशांत किशोर के साथ डिनर और फिर राजनीतिक गपशप के कई मायने हैं. 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर प्रशांत किशोर की भूमिका बिहार और देश की राजनीति में अहम हो सकती है.
जदयू नेता प्रशांत किशोर के मसले पर कुछ भी बोलने से इंकार कर रहे हैं. पार्टी प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा है कि दिल्ली में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ रात्रि भोज पर प्रशांत किशोर मिले थे, दोनों के बीच मुलाकात हुई है. प्रशांत किशोर की इंट्री जदयू में कब होगी यह मामला शीर्ष नेतृत्व का है.
वहीं, बीजेपी के विधान पार्षद देवेश कुमार ने कहा है कि ‘फिलहाल प्रशांत किशोर के जदयू में आने की संभावना नहीं है और वैसे भी प्रशांत किशोर लंबे समय से बीजेपी को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें कामयाबी हासिल नहीं हुई है. आगे भी बीजेपी के सेहत पर कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है.’