विभीषण के कहने पर श्री राम न तोड़ दिया था यह का पुल, जानिए कहां है ये स्थान

धर्म-कर्म-आस्था

हमारे देश में ऐसे कई धार्मिक स्थल हैं जिनका संबंध श्री राम से जुड़ा हुआ है। इन्हीं तमाम स्थलों में से एक है धनुषकोड़ी। बता दें धनुषकोड़ी नामक यह स्थल हिंदुओं के पावन तीर्थ स्थल रामेश्वरम के पास स्थित है। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार यहां लंका पर विजय पाने के उपरांत भगवान श्री राम ने विभिषण के कहने पर अपने धनुष के एक ही सिरे से सेतु को तोड़ दिया था। ऐसा कहा जाता है इसे सेतु से होकर वानर सेना ने भगवान श्री राम के साथ जाकर लंका का ध्वस्त किया था। वर्तमान समय में लोग इसे भुतहा के नाम से जानते हैं। लोक मत है कि वर्ष 1964 में चक्रवती तूफान के बाद यह स्थल पूरी तरह से जलमग्न हो गया था।

जिसके बाद आज तक इस स्थल के पुन निर्माण को लेकर किसी द्वारा खास ध्यान नहीं दिया। ये भी कहा जाता है कि यही वह स्‍थान है जहां से समुद्र के ऊपर रामसेतु का निर्माण आरंभ किया गया था तथा इसी स्थल पर भगवान श्री राम ने हनुमान जो को समुद्र के ऊपर ऐसा पुल बनाने को कहा था, जिस पर से होकर वानर सेना लंका में प्रवेश कर सके। धनुषकोडी में भगवान राम से जुड़े कई मंदिर आज भी हैं।

बताया जाता है इसके दक्षिण में हिंद महासागर गाढ़ा नीला दिखता है, तो उत्तर में बंगाल का उपसागर काले रंग का दिखता है। इन दोनों में 1 किमी से भी कम की दूरी है। सागरों का पानी नमकीन होने पर भी धनुषकोडी में 3 फुट गहरा गड्ढा खोदने पर उसमें मीठा पानी आता है। चारों तरफ से नमकीन खारे पानी से घिरा होने के बावजूद यहां पर मीठे पानी का होना अपने आप में किसी आश्‍चर्य से कम नहीं है। इसके अलावा बता दें द्वीप के किनारे स्थित इस स्‍थान को भारत का अंतिम छोर कहते है। तो वही यह स्‍थान कहलाता है जहां सबसे ऊंचाई पर खड़े होने पर श्रीलंका नजर आता है। अब वीरान हो चुकी इस जगह पर एक वक्‍त बहुत से लोग रहते थे।

बताया जाता है वर्ष में 1964 में आए खतरनाक चक्रवात से पहले तक धनुषकोडी को एक बेहतरीन पर्यटन स्‍थल माना जाता था। उस समय नगर में रेलवे स्‍टेशन, अस्‍पताल और होटल वगैरह आदि सभी सुविधाएं उपलब्ध थीं। परंतु चक्रवात के उपरांत यहां सब कुछ खत्‍म हो गया। ऐसा कहा जाता है कि एक बार 200 यात्रियों से भरी ट्रेन एक बार जलमग्‍न हो गई थी, तब से इस स्‍थान को भुतहा माना जाता है। इस हादसे के बाद लोगों ने यहां आना बंद कर दिया।

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