सनातन धर्म के अनुसार कार्तिक मास भगवान विष्णु का प्रिय माह माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि अत्यधिक पावन माना जाने वाला ये मास चातुर्मास का आखिरी मास होता है। बता दें इस बार ये मास 21 अक्टूबर दिन गुरुवार से शुरू हो रहा है। कहा जाता है इस मास में देव तत्व मजबूत होता है। ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार इस मास में धन और धर्म दोनों से संबंधित कार्य किए जाते हैं क्योंकि ये मास अधिक पावन व लाभदायक माना जाता है। इस मास में तुलसी रोपण के साथ-साथ तुलसी और शालिग्राम का विवाह संपन्न करवाया जाता है। तो वहीं इस मास में दीपदान और दान पुण्य करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। परंतु इस दौरान कुछ ऐसे भी कार्य हैं जिन्हें नहीं करना चाहिए। लेकिन बहुत कम लोग हैं जिन्हें इन कार्यों के बारे में पता है। तो आइए कार्तिक मास के इस शुभ अवसर पर जानते हैं कि कार्तिक मास में कौन से कार्य नहीं करने चाहिए, साथ ही जानेंगे कौन से कार्य करने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
क्या नहीं करना चाहिए?
ज्योतिष शास्त्रियों का मानना है कि ये मास अधिक पावन है, इसलिए आचरण को पवित्र रखना बेहद जरूरी है। इसलिए शास्त्रों के मुताबिक, कार्तिक मास में मांस-मछली और मट्ठा नहीं खाना चाहिए था।
अक्सर देखा जाता है कि कुछ लोगों को स्नान के बाद शरीर पर तेल लगाने की आदत होती है, परंतु कार्तिक मास में ऐसा करने से परहेज करना चाहिए अर्थात ये ऐसा नहीं करना चाहिए। बता दें इस मास में केवल एक दिन कार्तिक चतुर्दशी के दिन शरीर पर तेल लगा सकते हैं।
कार्तिक मास में उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राई का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा कार्तिक मास में दोपहर को सोना नहीं चाहिए तथा ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
किन कार्यों को करने से मिलता है शुभ फल-
इस मास में जितना हो सके स्निग्ध और मेवे का सेवन करना चाहिए। ज्योतिष शास्त्री बताते हैं कि इस मास में ऐसी चीजों का सेवन करना अच्छा होता है जिनका स्वभाव गर्म हो और लम्बे समय तक ऊर्जा बनाए रखें।
कार्तिक मास में सूर्य की किरणों का स्नान करना सेहत और धार्मिक लिहाज से काफी उत्तम माना जाता है।
संभव हो तो इस मास में भूमि पर शयन करना चाहिए और अधिक से अधिक भगवान का जप करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान जमीन पर शयन करन से मन में पवित्र विचार पैदा होते हैं। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार भूमि में सोना कार्तिक मास का तीसरा प्रमुख काम माना जाता है।
धर्म ग्रंथों में वर्णन है कि इस मास में देवी लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं तथा अपने भक्तों पर अपार कृपा बरसाती हैं। इसलिए इस मास में इनकी खास पूजा अर्चना की जाती है।