जबलपुर।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में साफ किया कि मध्य प्रदेश राजस्व पुस्तिका के सर्कुलर 6(4) के तहत प्राकृतिक आपदा में नष्ट हुई फसल के लिए किसानों को चार लाख रुपये एक्सग्रेसिया (अनुदान) राशि देने का प्रविधान है। कोरोना महामारी के चलते काल के गाल में समाने वालों के स्वजनों के लिए यह प्रविधान नहीं है। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने उक्त टिप्पणी के साथ जनहित याचिका का पटाक्षेप कर दिया।
किसी को भी मुआवजे की रकम नहीं दी गई : बालाघाट जिला कांग्रेस के उपाध्यक्ष शेषराव लोचनलाल राहंगडाले की ओर से यह जनहित याचिका दायर की गई। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता गोपाल सिंह बघेल ने कोर्ट को बताया कि कोरोना महामारी के चलते बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई। उन्होंने दलील दी कि मध्य प्रदेश भू-राजस्व पुस्तिका के 2014 में जारी सर्कुलर 6(4) के तहत प्राकृतिक आपदा से होने वाली मौत पर स्वजनों को चार लाख रुपये क्षतिपूर्ति दिए जाने का प्रविधान है। इसके बावजूद राज्य सरकार की ओर से किसी को भी मुआवजे की रकम नहीं दी गई। यह रकम पीड़ितों के स्वजनों को प्रदान करने का निर्देश जारी किया जाए। यह भी कहा गया कि सरकार कोरोना से हुई मौतों के आंकड़े छुपा रही है। सरकार को सही आंकड़े उजागर करने के निर्देश दिए जाएं। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव व उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने याचिका का विरोध किया। उनकी ओर से तर्क दिया गया कि उक्त प्रविधान प्राकृतिक आपदा के चलते फसल नष्ट होने पर किसान को मुआवजा प्रदान करने के लिए है। वहीं यह भी कहा गया कि कोरोना वायरस के चलते हुई मौतों के आंकड़ों का मामला एक अन्य याचिका में हाई कोर्ट के समक्ष उठाया गया है। जिस पर कोर्ट विचार कर रही है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि एक अन्य याचिका में कोरोना से मृत्यु पर मुआवजे का मुद्दा उठाया गया था। जिसे वापस ले लिया गया है। वहीं कोरोना वायरस से मौतों के आंकड़े का मसला हाईकोर्ट के समक्ष लंबित है। इस पर अलग से विचार की आवश्यकता नहीं है। यह कहकर कोर्ट ने याचिका का निराकरण कर दिया।