विधायकों को संतुष्ट करना कमलनाथ की सियासी मजबूरी

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मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ ने फिलहाल किसी असंतुष्ट विधायक को मंत्री बनाने की संभावना से इनकार किया हो, लेकिन विधायकों को साथ रखने के लिए गैर कांग्रेसी विधायकों को महत्व देना कमलनाथ की सियासी मजबूरी बन गई है।

मध्य प्रदेश में कांग्रेस नेतृत्व सरकार में शामिल विधायकों को मंत्री पद देने की संभावनाओं पर फिलहाल विराम लग गया है। भले ही कमलनाथ सरकार ने फिलहाल किसी असंतुष्ट विधायक को मंत्री बनाने की संभावना से इनकार किया हो, लेकिन विधायकों का गणित अपने अनुकूल बनाए रखने के लिए गैर कांग्रेसी विधायकों को महत्व देना कमलनाथ की सियासी मजबूरी बन गई है। ऐसे में मंत्रिमंडल से हटाए जाने वाले मंत्रियों को फौरी राहत भले ही मिल गई है, लेकिन यह कितने दिन के लिए है, कोई नहीं कह सकता। मध्य प्रदेश राज्य में कांग्रेस की सरकार के पास पूर्ण बहुमत नहीं है। यह सरकार बीएसपी, एसपी और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से चल रही है। बीएसपी की विधायक राम बाई पूर्व में कई बार खुले तौर पर मंत्री बनने की इच्छा जाहिर कर चुकी हैं। वहीं समर्थन देने वाले अन्य विधायक भी मंत्री बनने की आस में हैं। दूसरी ओर बीजेपी द्वारा सरकार को अस्थिर करने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। खुद मुख्यमंत्री कमलनाथ कई विधायकों को बीजेपी की ओर से प्रलोभन दिए जाने के आरोप लगा चुके हैं।

वर्तमान में राज्य की राजनीतिक परिस्थिति के बीच उन विधायकों को संतुष्ट रखना जरूरी हो गया है, जो कांग्रेस की सरकार को समर्थन दे रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, इसके लिए एक फॉर्म्यूला बनाया गया है, जिसके तहत निर्दलीय तीन, बीएसपी के दो और एसपी के एक विधायक को मंत्री बनाया जा सकता है। इसके लिए मौजूदा छह मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी है। तीनों बड़े नेताओं (कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया) के कोटे वाले दो-दो मंत्री बाहर किए जाने हैं। मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने की चर्चा ने कई मंत्रियों की नींद उड़ा दी है।

सिंधिया गुट के विधायकों का सामूहिक भोज
सिंधिया गुट से नाता रखने वाले मंत्री तो इतना परेशान हैं कि उन्होंने रविवार को रात्रि भोज के जरिए पार्टी पर दवाब बनाने का दांव चल दिया। यह बात अलग है कि इस भोज में हिस्सा लेने वाले राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का कहना है, ‘उस दिन भारत-पाकिस्तान का क्रिकेट मैच था और सभी ने एक साथ मैच देखा। एक साथ बैठते हैं तो उसमें बुरा क्या है।’ 

लोक निर्माण मंत्री ने की फेरबदल की पुष्टि
एक तरफ जहां सिंधिया गुट के मंत्रियों का भोज हुआ, वहीं दूसरी तरफ राज्य के लोक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने छह मंत्रियों को हटाए जाने की सोमवार को पुष्टि की। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘कई लोगों को सरकार में जगह देनी है, इसलिए पांच-छह मंत्रियों को हटाया जा सकता है। उन्हें संगठन में जिम्मेदारी दी जा सकती है।’ मुख्यमंत्री कमलनाथ की मंगलवार को राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से प्रस्तावित मुलाकात को लेकर भी कयासबाजी जोरों पर थी, मगर कमलनाथ ने यह कह कर कयासों पर पानी डाल दिया कि राज्यपाल से मंत्रिमंडल विस्तार पर उनकी कोई चर्चा ही नहीं हुई है। 

जांचा जा रहा है मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि मंत्रिमंडल में फेरबदल होना तय है। यह कुछ दिन भले टल गया है। मंत्रियों के रिपोर्ट कार्ड का अध्ययन किया जा रहा है, उनकी कार्यशैली की समीक्षा की जा रही है। उसके बाद किसे मंत्रिमंडल में रखा जाए और किसे बाहर किया जाए, इसका फैसला स्वयं कमलनाथ करेंगे। मुख्यमंत्री के तौर पर यह उनका विशेषाधिकार है। राजनीति के जानकार मानते हैं कि कमलनाथ सरकार को फिलहाल कोई खतरा नहीं है। जानकारों का कहना है कि एमपी सरकार को खतरा तभी हो सकता है जब कोई बड़ा नेता विद्रोह की अगुवाई करे, जिसके आसार कम हैं। 

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