मध्य प्रदेश: कमलनाथ ने आदिवासियों के हित में उठाए गए कदमों का ब्योरा जारी किया

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सरकार की तरफ से जारी एक बयान में कमलनाथ ने कहा, ‘हमारी सदैव नीति रही है कि आदिवासी वर्ग का न केवल सर्वांगीण विकास हो, बल्कि परम्परा से उन्हें मिले अधिकारों का संरक्षण भी हो। वनाधिकार कानून 2006 यूपीए सरकार ने लागू किया था

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उनकी सरकार द्वारा आदिवासियों के लिए किए जा रहे कार्यों का मंगलवार को ब्योरा जारी किया। उन्होंने कहा कि सत्ता में आते ही उनकी सरकार ने आदिवासियों के पक्ष में उनके कल्याण के लिए कई सारे कदम उठाए हैं।

कमलनाथ ने यह बात ऐसे समय में कही है, जब पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को यहां आदिवासियों के एक विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया। सरकार की तरफ से जारी एक बयान में कमलनाथ ने कहा, ‘हमारी सदैव नीति रही है कि आदिवासी वर्ग का न केवल सर्वांगीण विकास हो, बल्कि परम्परा से उन्हें मिले अधिकारों का संरक्षण भी हो। वनाधिकार कानून 2006 यूपीए सरकार ने लागू किया था। इस कानून के अंतर्गत मध्य प्रदेश में 6 लाख 25 हजार आवेदन पूर्ववर्ती शिवराज सिंह चौहन की सरकार के दौरान आए थे। इनमें से तीन लाख 55 हजार आवेदन निरस्त कर दिए गए थे। हमारी सरकार ने इन सभी आवेदनों का पुनरीक्षण कर पात्र कब्जाधारियों को वनाधिकार पत्र देने का काम शुरू किया है।’

मुख्यमंत्री ने आदिवासियों और वनवासियों के लिए किए जा रहे कार्यों का जिक्र करते हुए कहा, ‘राज्य सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रहण की दर 2000 रुपये प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 2500 रुपये कर दी है। सरकार के इस निर्णय से तेंदूपत्ता संग्रहण के कार्य में लगे आदिवासियों को प्रति बोरा 500 रुपये का लाभ मिला है। यह राशि पूर्व में बैंकों के माध्यम से तेंदूपत्ता श्रमिकों को दी जाती थी, जिससे उन्हें कठिनाई होती थी। हमारी सरकार ने यह निर्णय लिया कि तेंदूपत्ता संग्रहण की राशि का नगद भुगतान संग्राहक को किया जाएगा।’

उल्लेखनीय है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आदिवासियों की समस्याओं को लेकर यहां मंगलवार को धरना दिया, और बाद में चौहान के नेतृत्व में आदिवासियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से मुलाकात की।

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