सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला में कहा, निजी वाहन ‘सार्वजनिक स्थल’ के दायरे में नहीं आता

Uncategorized देश

नई दिल्ली,  सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि कोई निजी वाहन ‘सार्वजनिक स्थल’ के दायरे में नहीं आता, जैसा कि नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकॉट्रॉपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) एक्ट के तहत कहा गया है। शीर्ष अदालत ने गलत धारा में केस दर्ज किए जाने पर आरोपितों को बरी कर दिया।

जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई करते हुए उक्त टिप्पणी की। हाई कोर्ट ने आरोपितों को एनडीपीसी एक्ट के तहत सुनाई गई सजा को बहाल रखा था।

मामले के मुताबिक आरोपित बूटा सिंह, गुरदीप सिंह और गुरमोहिंदर सिंह सड़क किनारे एक जीप में बैठे थे। जीप गुरदीप सिंह की थी। पुलिस ने उनके पास से दो बोरी अफीम की भूसी (पॉपी स्ट्रा) बरामद की और उनके खिलाफ एनडीपीएस कानून की धारा 43 के तहत मामला दर्ज किया।

निचली अदालत ने इन तीनों को 10-10 साल कैद की सजा सुनाई। इनके साथ एक और आरोपित था, जिसे अदालत ने बरी कर दिया। अदालत ने एक-एक लाख का जुर्माना भी लगाया था, जिसके नहीं जमा करने पर दो-दो साल सश्रम कारावास का प्रावधान था।

शीर्ष अदालत में आरोपितों की तरफ से दलील दी गई कि उनका वाहन निजी था,सार्वजनिक नहींये जरूर है कि वो लोग सार्वजनिक सड़क पर खड़े थेपीठ ने कहा कि प्रस्तुत साक्ष्यों से यह साबित होता है कि उक्त जीप आरोपित गुरदीप सिंह की थी, जिसका पंजीकरण निजी वाहन के रूप में दर्ज है। पीठ ने कहा कि यह मामला एनडीपीएस एक्ट की धारा 43 नहीं, बल्कि 42 के तहत आता है और आरोपितों को बरी कर दिया।

एनडीपीएस एक्ट की धारा 42 के तहत एक मानद अधिकारी को संदिग्ध नारकोटिक्स के मामले में किसी जगह जाने, उसकी तलाशी लेने, जब्ती और गिरफ्तारी का अधिकार है। जबकि, धारा 43 सार्वजनिक स्थल पर जब्ती और गिरफ्तारी से संबंधित है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *