लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री तुलसीराम सिलावट की अध्यक्षता में शनिवार को गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम की राज्य सुपरवाईजरी बोर्ड की बैठक आयोजित हुई। ब्रिलियंन्ट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित बैठक में विधायक कलावती भूरिया एवं झूमा सोलंकी, आयुक्त स्वास्थ्य सेवाएं प्रतीक हजेला तथा बोर्ड के सदस्य उपस्थित थे। बैठक में वर्ष 2017 से आज तक की गई कार्यवाही पर चर्चा की गई एवं बोर्ड के सदस्यों ने अपने रचनात्मक सुझाव प्रस्तुत किये। बैठक में स्वास्थ्य मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि गिरते हुए शिशु लिंगानुपात का विषय बैठकों से बाहर निकलकर समाज के अन्तिम बिन्दु – आशा, एनएनएम, स्टाफ नर्स तक पहुंचाई जाये। उन्होंने कहा कि अधिनियम के क्रियान्वयन में जिला कलेक्टर की भूमिका अहम है। इनके द्वारा कार्यवाही सुनिश्चित की जानी है। प्रत्येक तिमाही में निरीक्षण आवश्यक रूप से होकर रिपोर्ट प्रस्तुत करना होगी। उन्होंने कहा कि उत्कृष्ट कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं को पुरस्कृत किया जाना चाहिये। पुरस्कार पाने से कार्य करने वालों का मनोबल बढ़ता है। जो चिन्हित सोनोग्राफी सेन्टर हैं उसकी सतत् मॉनीटरिंग भी होना चाहिये तथा समाज में बेटे को महत्व देने वाली मानसिकता से उभरकर बेटा एवं बेटी दोनों को समान मानना होगा। आगे आने वाले समय में मध्यप्रदेश के विभिन्न शहरों में इस तरह की बैठकों का आयोजन निरन्तर किया जायेगा। उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ गैर-भेदभाव के लिए समाज में सकारात्मक संदेश दिया जाना चाहिये।
बैठक में विधायक श्रीमती झूमा सोलंकी द्वारा राज्य में गिरते हुए शिशु लिंगानुपात के विषय पर चिंता व्यक्त की गई। उन्होंने कहा कि जनता तक यह संदेश पहुंचाना अति आवश्यक है कि गर्भधारण एवं प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण एक जघन्य अपराध है। इसे रोकने के लिए प्रैक्टिस कर रहे चिकित्सकों को संपूर्ण इनफार्मेशन सिस्टम में जोड़ना आवश्यक है। जिससे इस प्रक्रिया के विभिन्न चरणों की मॉनिटरिंग की जा सके। उन्होंने यह भी बताया कि निगरानी के साथ हर एक स्तर पर नियमों का सही क्रियान्वयन भी जरूरी है। उपरोक्त उपायों के अतिरिक्त मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी पर निगरानी रखना भी बहुत आवश्यक है।
विधायक श्रीमती कलावती भूरिया द्वारा सघन आईईसी महिलाओं द्वारा बेटियों को बेटों जितना महत्व दिये जाने की आवश्यता बतायी गई। उन्होंने कहा कि निजी नर्सिंग होम द्वारा अधिक लिंगानुपात चयन किया जा रहा है, इसकी सतत् निगरानी आवश्यक है। साथ ही उन्होंने कहा कि मीडिया के माध्यम से हमें ऐसी महिलाओं को जनता तक पहुंचाना जरूरी है, जिन्होंने अपने अपने क्षेत्रों में विशेष उपलब्धि हासिल की है। क्योंकि वह अन्य महिलाओं एवं लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत के रूप में काम करेंगी।
इस अवसर पर आयुक्त स्वास्थ्य सेवाएं श्री प्रतीक हजेला ने कहा कि गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम अब ज्यादा लोगों तक पहुंचे, इसके लिये राज्य स्तर पर विशेष प्रयास किये जायेंगे। मैदानी कार्यकर्ताओं को उनके प्रशिक्षण मॉड्यूल्स में इसकी जानकारी भी दी जायेगी। बैठक में बोर्ड के सदस्यों ने भी अपने रचनात्मक एवं सकारात्मक सुझाव प्रस्तुत किये और कहा कि इन सुझावों से यह अधिनियम और मजबूत बनेगा। अन्त में वरिष्ठ शल्यक्रिया विशेषज्ञ एमवाय मेडिकल कॉलेज श्री सुमित शुक्ला द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया। बैठक में राज्य स्तर के वरिष्ठ अधिकारी एवं बड़ी संख्या में अतिथिगण मौजूद थे।