इंदौर . सोमनाथ की चाल में बुधवार सुबह एक साल पांच माह की अतिकुपोषित बच्ची मिली है। इसका वजन चार किलो है, जबकि इस उम्र के बच्चों का वजन नौ से ग्यारह किलो होना चाहिए। चाइल्ड लाइन ने बच्ची को चाचा नेहरू अस्पताल में भर्ती करा दिया है
बताया जा रहा है कि इस बच्ची को पहले भी पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में भर्ती कराया जा चुका है, लेकिन इसके बाद आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने फॉलोअप ही नहीं लिया, जबकि चार बार फालोअप लेना जरूरी है।
माता-पिता से मिले स्वास्थ्य मंत्री : चाइल्ड लाइन के जितेंद्र परमार ने बताया कि सुबह-सुबह हम वहां से गुजर रहे थे, तभी हमारी नजर उस पर पड़ी। माता-पिता ने बताया कि 2 से 14 अगस्त तक बच्ची को चाचा नेहरू अस्पताल के एनआरसी में भर्ती कराया गया था। वहीं इस मामले के सामने आने के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।
जब बच्ची इतनी कुपोषित है, तब उसका फॉलोअप क्यों नहीं किया गया? सुबह स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट अस्पताल पहुंचे। उन्होंने बच्ची की मां भावना और पिता सचिन से चर्चा की। उधर जिला कार्यक्रम अधिकारी रजनीश सिन्हा ने बताया कि बच्ची को पहले भी एनआरसी में भर्ती कराया गया था। उसके माता-पिता ने बाद में उसे भर्ती कराने से मना कर दिया था। वे निजी डॉक्टर से इलाज करा रहे थे। जानकारी मिलने पर हमने परियोजना अधिकारी को सुबह वहां भेजा।
फॉलोअप में होती है लापरवाही
- जिला अस्पतालों में एनआरसी स्थापित है, लेकिन यहां के रिकाॅर्ड देखें तो बच्चों का फॉलोअप ठीक से नहीं होता। इसका औसत 60 से 65 प्रतिशत के बीच है। स्वास्थ्य विभाग चार बार फॉलोअप को महत्वपूर्ण मानता है, जबकि संभाग में मात्र 61 प्रतिशत बच्चों के ही चार बार फॉलोअप किए जा रहे हैं।
- वजन के आधार बच्चों की दो श्रेणियां हैं। हर महीने उम्र के अनुसार बच्चों का वजन का चार्ट होता है। यदि थोड़ा कम हो तो कम वजनी कहा जाता है, लेकिन यदि वजन ज्यादा ही कम हो तो उसे अति कम वजनी कहा जाता है। मुख्यत: महिला एवं बाल विकास विभाग ऐसे बच्चों के लिए पोषण आहार और अटल बाल मिशन चला रहा है।