पीपीपी मोड पर टाइगर सफारी शुरू करने की तैयारी

भोपाल मध्यप्रदेश

भोपाल । सरकार जंगलों में प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर टाइगर सफारी शुरू करने की तैयारी कर रही है। प्रदेश की पहला टाइगर सफारी पचमढ़ी में शुरू करने के संबंध में प्लान तैयार किया जा रहा है। यह काम ईको पर्यटन बोर्ड को दिया गया है, जिसके लिए बोर्ड डीपीआर तैयार कर रहा है। सफारी तैयार करने के लिए पचमढ़ी में हवाई पट्टी के नजदीक 50 हेक्टेयर भूमि का चयन किया गया है। जिसमें तार की फैंशिंग का एक बड़ा बाड़ा बनाकर जू के बाघों सहित अन्य वन्य प्राणियों को रखा जाएगा। पर्यटक इस बाड़े के अंदर जाली से बंद वाहन में सवार होकर भ्रमण कर सकेंगे। इस प्रोजेक्ट में करीब 16 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
निवेशक बाड़ा तैयार करेगा। इसके अलावा वहां सफारी के भ्रमण के लिए सड़क सहित अन्य पर्यटन स्थलों का विकास करेगा। पर्यटकों को मूलभूत सुविधाएं देने का भी काम निवेशक का होगा। वन विहार की तर्ज पर यहां रेस्क्यू किए गए बाघों सहित अन्य वन्य जीवों को रखा जाएगा। इसकी पूरे देख-रेख की जिम्मेदारी वन विभाग की होगी, विभाग नियामक आयोग की तर्ज पर काम करेगा। सफारी और सुविधाएं देने का काम निवेशक का होगा। इसमें खर्च होने वाली राशि प्रवेश शुल्क और सफारी शुल्क के रूप में वसूली की जाएगी। पर्यटकों से सफारी के लिए शुल्क का निर्धारण वहां की समिति करेंगी, जिसमें वन विभाग के अधिकारी भी होंगे, लेकिन प्रस्ताव निवेशक की तरफ से रखा जाएगा।
निविदा जारी करेगा बोर्ड
मध्य प्रदेश इको टूरिज्म बोर्ड टाइगर सफारी की डीपीआर तैयार करा रहा है, जो अगले माह तक फाइनल हो जाएगी। इसके बाद निविदा जारी करेगा, जो कंपनी या संस्था निविदा प्रक्रिया में कम राशि में काम करेगी और पर्यटकों को ज्यादा सुविधाएं उपलब्ध कराएंगी उन्हें ही इसका काम दिया जाएगा। चयनित क्षेत्र में अधोसंरचना विकास (बाड़ा, पानी और पर्यटकों को भ्रमण कराने और उन्हें मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने का इंतजाम) करने के साथ अन्य सुविधाएं भी जुटाना होंगी। इन सुविधाओं के आधार पर वन विभाग संबंधित संस्था के समन्वय से सफारी का शुल्क तय करेगा।
सीजेडए को भेजा प्रस्ताव
वन विभाग ने पचमढ़ी में टाइगर सफारी बनाने के संबंध में केंद्रीय चिडिय़ाघर प्राधिकरण (सीजेडए) को प्रस्ताव भेज दिया है। सीजेडए की अनुमति के बाद इसमें काम शुरू कर दिया जाएगा। सीजेडए को सरकार को यह भी बताया है कि वहां पर किस तरह की गतिविधियां संचालित की जाएंगी। सीजेडए की शर्तों के आधार पर ही वहां कार्य कराए जाएंगे।

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