कृषि कानूनों को वापस लेने के मोदी के फैसले से किस तरह बदलेगी पंजाब की सियासत

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चंडीगढ़। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा तीन कृषि कानून पास करने के बाद अकाली दल ने भाजपा के साथ हुए गठबंधन को तोड़ दिया था। बता दें कि लोकसभा में तीन कृषि बिल पास होने का अकाली दल ने विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि ये बिल किसानों और मजदूरों की छवि को भविष्य में धुंधला कर सकती है। इसके बाद किसानों ने दिल्ली सिंघु बार्डर पर अपने डेरा डालकर कृषि आंदोलन ने अपना जोर पकड़ लिया। इन तीन कृषि कानूनों के पास होने पर किसानों में भारी रोष भी पाया जा रहा है। बता दें कि एक लंबे संघर्ष के बाद मोदी सरकार ने किसानों के खिलाफ बनाए कृषि कानून वापस ले लिए हैं परंतु इसे संसद में मंजूरी मिलनी अभी बाकी है।
इस बीच पंजाब में कांग्रेस, भाजपा, अकाली दल अपने-अपने तरीके से किसानी मुद्दों को हल करने के लिए प्रयासरत रहे हैं, क्योंकि आगामी चुनावों को लेकर सभी राजनीतिक दल सक्रिय हैं। इस दौरान कैप्टन भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने भी भाजपा के साथ हाथ मिला लिया।इस्तीफा देने के बाद कैप्टन कांग्रेस सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाने में लगे हुए हैं। आगामी चुनावों को लेकर पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिद्धू और सी.एम. चन्नी भी अपने दांव-पेच लगा रही हैं। आप भी इनदिनों पंजाब में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए गारंटियों पर गारंटियां दिए जा रहे हैं लेकिन अभी तक आम आदमी पार्टी कोई भी सी.एम. चेहरा ऐलान नहीं कर सकी है। दिल्ली सी.एम. केजरीवाल भी लोगों को अपने विश्वास के घेरे में लेने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं।

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