अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार बनाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। मुल्ला अब्दुल गनी बरादर कंधार से काबुल पहुंच गया है तथा साथी नेताओं के साथ सरकार बनाने की कवायद में जुटा हुआ है। बरादर वर्तमान में दोहा स्थित तालिबान के राजनीतिक कार्यालय का प्रमुख है। ऐसा कहा जा रहा है कि मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ही अफगानिस्तान का अगला राष्ट्रपति बनने जा रहा है। हालांकि तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद भारत से कहा है कि वह अफगानिस्तान से भारतीय नागरिकों को न निकाले।
पंजाब को भारत से अलग करने की दे चुका है धमकी
फिलहाल केंद्र सरकार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है वह भी तब जब मुल्ला अब्दुल गनी बरादर अतीत में पंजाब को भारत से अलग करने और दिल्ली को पैदल जीतने की धमकियां दे चुका हो। बरादर असल में ओसामा बिन लादेन का रिश्तेदार है और जब लादेन जिंदा था तब बरादर ऐसी धमकियां अक्सर देता रहता था। वर्तमान में बरादर का कद तालिबान के प्रमुख हैबतुल्लाह अखुंदजादा से नीचे है इसके बावजूद उसे तालिबान का हीरो माना जा रहा है। वहीं अखुंदजादा अब पर्दे के पीछे छिपकर अपने आतंकी संगठन को चला रहा है। 1968 में उरुजगान प्रांत में जन्मा बरादर 1980 के दशक में सोवियत संघ के खिलाफ अफगान मुजाहिदीन के रूप में लड़ाई लड़ चुका है।
मुल्ला उमर के साथ मिलकर तालिबान की स्थापना की
1992 में रूसियों को खदेडऩे के बाद अफगानिस्तान प्रतिद्वंद्वी सरदारों के बीच गृहयुद्ध में घिर गया था जिसके बाद बरादर ने अपने पूर्व कमांडर और बहनोई मुल्ला उमर के साथ कंधार में एक मदरसा स्थापित किया। इसके बाद उसने मुल्ला उमर के साथ मिलकर तालिबान की स्थापना की थी। तालिबान शुरूआत में धार्मिक शुद्धिकरण और एक इस्लामिक अमीरात के निर्माण के लिए समर्पित युवा इस्लामी विद्वानों के नेतृत्व में एक आंदोलन था लेकिन बाद में पाकिस्तानी खुफिया एजैंसी आई.एस.आई. की शह पर यह हिंसक आंदोलन बन गया। 1996 तक तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर इस्लामिक अमीरात की स्थापना कर दी। तब बरादर इस जीत का हीरो बन गया और तालिबान के रणनीतिक के रूप में उभरा।