सीरम हर महीने 10 करोड़ तो भारत बायोटेक 7.8 करोड़ कोरोना टीके बनाएगा

कई राज्यों की तरफ से कोरोना टीकों की कमी की जानकारी देने के बीच सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक ने अगले चार महीने की अपनी उत्पादन योजना केंद्र को सौंपी है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इसमें उन्होंने सूचित किया है कि अगस्त तक वे क्रमश: 10 करोड़ और 7.8 करोड़ खुराकों तक अपने उत्पादन को बढ़ाएंगे। सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और भारत के औषध महानियंत्रक कार्यालय ने दोनों कंपनियों से जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर के लिए उनकी उत्पादन योजना मांगी थी। हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक स्वदेश विकसित कोवौक्सीन का उत्पादन कर रही है और ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड का उत्पादन पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कर रही है और कोरोना वायरस के खिलाफ जारी भारत के टीकाकरण अभियान में फिलहाल इन दोनों टीकों का इस्तेमाल हो रहा है।

भारत बायोटेक के पूर्णकालिक निदेशक डॉ वी कृष्ण मोहन ने सरकार को कोवैक्सीन का उत्पादन जुलाई में 3.32 करोड़ और अगस्त में 7.82 करोड़ तक बढ़ाए जाने की जानकारी दी है जो सितंबर में भी अगस्त के समान रहेगा। आधिकारिक सूत्रें ने बताया कि इसी तरह, सीरम इंस्टीट्यूट में सरकारी एवं नियामक मामलों के निदेशक, प्रकाश कुमार सिंह ने बताया है कि अगस्त तक कोविशील्ड का उत्पादन 10 करोड़ खुराकों तक बढ़ाया जाएगा और सितंबर में भी यही स्तर बरकरार रखा जाएगा। सिंह ने स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजे गए पत्र में कहा, “हम पुष्टि करते हैं कि किसी भी परिस्थिति में वर्णित मात्रा पूरी की जाएगी। साथ ही, हम कोविशील्ड की हमारी उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए सभी संसाधनों का प्रयोग करने की भरसक कोशिश कर रहे हैं। इसे देखते हुए, जून और जुलाई के दौरान उत्पादन को संभवत: कुछ मात्रा तक बढ़ाया जा सकता है।”

फार्मास्यूटिकल्स विभाग में संयुक्त सचिव, रजनीश तिंगल, स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव डॉ मनदीप भंडारी को शामिल कर बनाए गए अंतर मंत्रालय समूह ने अप्रैल में सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक दोनों के उत्पादन केंद्रों का दौरा किया था। इस समूह का गठन घरेलू स्तर पर टीका उत्पादन की क्षमता को बढ़ाने में सुविधा देने के लिए किया गया था। दिल्ली, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना समेत कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने कोरोना वायरस रोधी टीकों की खरीद के लिए वैश्विक निविदा का विकल्प चुनने का फैसला किया है क्योंकि घरेलू आपूर्ति बढ़ती मांग के चलते कम पड़ रही है।

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