नरसिंहपुर।
‘भैया, मेरी मां तो बिना इंजेक्शन लगे चल बसी। औरों की जान कोरोना से बच सके, इसके लिए सरकार से रेमडेसिविर के इंजेक्शन उपलब्ध करवा दो ताकि उनकी जान बच सके।’
ये बिलखते स्वर तीन दिन पहले जिला अस्पताल में उस कोरोना संदिग्ध (बाद में पॉजिटिव) महिला की बेटियों के हैं जो अपनी माँ की मौत के लिए जिले में चरमरा रही स्वास्थ्य सेवाओं को रोते-बिलखते कोस रहीं थीं। मृतका की बेटियों का आरोप था कि जिला अस्पताल में पहले इंजेक्शन, दवाएं न होने के चलते उनकी मां की हालात बिगड़ी जब मुहमांगी कीमत देकर जबलपुर से इंजेक्शन मंगाया तो उसे लगाने में लापरवाही बरती गई। इसके चलते उनकी मां की मौत हो गई।
मृतका की एक बेटी सुरभि का तो यहां तक आरोप है कि रेमडेसिविर इंजेक्शन की जमकर कालाबाजारी हो रही है। जबलपुर से उन्होंने दो इंजेक्शन 10 हजार रुपए देकर मंगाए थे, जिसमें से एक एक्सपायरी डेट का था। पीड़ितों का आरोप रहा कि दूसरा इंजेक्शन जब उन्होंने जिला अस्पताल के कर्मचारियों से लगाने कहा तो उन्होंने कहा कि वे पहले पीपीई किट पहनेंगे इसके बाद ही इंजेक्शन लगेगा। आरोप ये भी है कि जिला अस्पताल में कोरोना के गरीब मरीजों को समुचित इलाज नहीं दिया जा रहा है। चूंकि उनके पास इतने पैसे नहीं थे, जिसके कारण वे निजी भोपाल, जबलपुर के निजी अस्पतालों में माँ का इलाज नहीं करा पाए। पीड़ितों ने अपनी माँ की मौत के लिए पूरी तरह से जिला अस्पताल के कुप्रबंधन को जिम्मेदार बताया। रोती-बिलखती बेटियां ये तक कहती रहीं कि यदि कोरोना का इलाज नहीं किया जा सकता, दवाएं नहीं दे सकते तो साफ कह दें कि मरीज सरकारी अस्पताल में भर्ती न हों।
रेमडेसिविर की कालाबाजारी पर सील हो चुकी एक दुकान: देश-प्रदेश में रेमडेसिविर इंजेक्शन की भारी कमी के बीच नरसिंहपुर में कतिपय दुकानों पर इसकी जमकर कालाबाजारी हो रही थी। नईदुनिया ने जब तीन दिन पहले ये जानकारी जिला प्रशासन को उपलब्ध कराई तो शहर की ओम मेडिकल को सील कराया गया। शुक्रवार को पुनः पीछे के दरवाजे से अवैध बिक्री की शिकायत पर छापा मारकर दुकान को सील किया गया।