सीहोर जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में पहुंकचर हजारों भक्तों ने बाबा को राखी बांधकर उनसे आशीर्वाद लिया और मनोकामना की। इस मौके पर सावन के अंतिम सोमवार पर भी यहां पर दूरदराज से आए सैकड़ों कांवड़ यात्रियों ने यहां पर आकर जल अर्पित किया। सोमवार सुबह अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा ने यहां पर आए श्रद्धालुओं के साथ बाबा की आरती की थी।
सोमवार को भी करीब 25 हजार से अधिक संख्या में श्रद्धालुओं को भोजन प्रसादी का वितरण किया गया। इस मौके पर विठलेश सेवा समिति की ओर से पंडित विनय मिश्रा, समीर शुक्ला सहित अन्य शामिल थे। हर साल पूरे सावन में यहां पर श्रद्धालुओं बड़ी संख्या में आस्था और उत्साह के साथ आते है और हजारों किलोमीटर दूर से पवित्र नदियों से लाए जल से यहां पर विशेष अनुष्ठान करते हैं। गत दिनों शहर के सीवन नदी तट से करीब 11 किलोमीटर का सफर तय कर लाखों श्रद्धालुओं के साथ गुरुदेव ने बाबा का अभिषेक किया था। सावन सोमवार के अंतिम दिन उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ, राजस्थान और महाराष्ट्र के अलावा मध्यप्रदेश से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जारी रहा।
सावन के अंतिम सोमवार पर पशुपतिनाथ महादेव मंदिर पर किया गया11 लीटर फलों के रस से भगवान शिव का अभिषेक
सीहोर शहर के अवधपुरी स्थित भगवान पशुपतिनाथ महादेव मंदिर पर इन दिनों श्रावण सोमवार का महापर्व आस्था और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। सोमवार के अंतिम सोमवार पर 30 दिवसीय महोत्सव के अंतर्गत पंडित अखिलेश राजोरिया के मार्गदर्शन पर सुबह मंदिर में पार्थिव शिवलिंगों के निर्माण के साथ ही नागराज का विशेष शृंगार किया गया था। मंदिर परिसर सहित अन्य स्थानों पर महोत्सव के अंतर्गत विशेष सज्जा की गई है।
इस संबंध में पंडित राजोरिया ने बताया कि विगत कई दिनों से सावन महोत्सव मनाया जा रहा है। सोमवार को पर सुबह पांच बजे से ही श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना आरंभ कर दी थी। इसके पश्चात सुबह 11 लीटर फलों के रस से भगवान शिव का अभिषेक किया गया। इसके बाद हवन किया। करीब तीन घंटे तक चले अनुष्ठान में यहां पर मौजूद श्रद्धालुओं ने दूध, आम के रस, जल, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगा जल और गन्ने के रस से भगवान शिव का अभिषेक किया। उन्हें बिल्व पत्र, सफेद कमल, लाल कमल, कनेर, शमी पत्र, दूब, कुशा, राई, गुड़हल, धतूरा, भांग और श्रीफल भी चढ़ाया।
रुद्राभिषेक अनुष्ठान की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा-अर्चना के साथ हुई। इस मौके पर पंडित श्री राजोरिया ने बताया कि मंदिर परिसर में लगातार तीस दिनों तक सुबह पांच बजे से नियमित रूप से भगवान शंकर का विशेष अभिषेक का सिलसिला चलता रहा। सावन के अंतिम सोमवार पर सुबह पांच बजे से आधा दर्जन से अधिक विप्रजनों के मार्गदर्शन में फलों के रस के अलावा पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक किया गया और उसके पश्चात सुबह आठ बजे हवन की समाप्ति के पश्चात सहस्त्रार्चन आदि की गई। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल थे।
दस विधि स्नान से ब्राह्मण और यजमानों ने किया पापों का प्रायश्चित
सीहोर के पाताल लोक भाद्रकाल में दस विधि स्नान से ब्राह्मण और यजमानों ने श्रावण मास के पंचम सोमवार को हनुमान फाटक ईलाइ माता सीवन नदी घाट पर पापों के प्रायश्चित के लिए रक्षाबंधन के पावन अवसर पर हेमांद्री प्रायश्चित संकल्प स्नान किया।
प्रात: आचार्य पंडित पृथ्वी बल्लभ दुबे, उपाचार्य हरीश तिवारी के सानिध्य में पापों के प्रायश्चित शुद्धीकरण के लिए मर्चन तर्पण, देव तर्पण, ऋषि तर्पण, पितृ तर्पण के लिए विधि-विधान से स्नान किया। तत्पश्चात प्राचीन श्रीराम मंदिर कस्बा में ऋषि पूजन, मंडल पूजन, जनेऊ पूजन, अभिमंत्रित हवन आरती व ब्राहम्ण पूजन किया गया। आचार्य पंडित पृथ्वी बल्लभ दुबे ने कहा कि दस विधि स्नान से आत्मा को शांति संतोष मिलता है और पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है।
उपाचार्य हरीश तिवारी ने बताया कि इस पूजन स्नान में पंचगव्य, गौरज, दूबा, गोबर, हल्दी, स्वर्ण, मिट्टी आदि द्रव्यों का उपयोग किया जाता है, जिससे मानसिक, शरीरिक, बौद्धिक, वंश विकास होता है। स्नानादी उपरांत सभी ब्राहम्ण बिप्रजनों ने जनेऊ धारण किया। कार्यक्रम में पंडित हीरेश चंद्र तिवारी, गोपाल शर्मा, वीरेंद्र शर्मा, राजेश चतुर्वेदी, राजेश शर्मा, रमेश उपाध्याय, अंकित उपाध्याय, ताराचंद्र विश्वकर्मा, सुनील विश्वकर्मा, राहुल विश्वकर्मा आदि श्रद्धालुजन शामिल रहे।