प्रसिद्ध कथावाचक प्रदीप मिश्रा पिछले करीब महीनें भर से सुर्ख़ियों में बने हुए हैं. विवादित बयान के कारण लोग उनसे नाराज चल रहे हैं, उज्जैन में उनकी कथा का बहिष्कार किया गया. अचानक बरसाना पहुंचकर राधारानी के मंदिर में जाकर नाक रगड़कर माफ़ी मांग पाश्चाताप किया. आइए जानते हैं कौन हैं पंडित प्रदीप मिश्रा ?
कौन है पंडित प्रदीप मिश्रा
मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के रहने वाले पंडित प्रदीप मिश्रा का जन्म 1980 को हुआ था. उनका उपनाम रघु राम है. निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से होने के कारण बचपन अभावों में बीता. जब बड़े हुए तो उन्होंने स्कूल टीचिंग में अपने हाथ आजमाएं साथ ही पंडिताई भी करने लगे.
उन्होंने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की है. उनके पिता का नाम पंडित रामेश्वर दयाल मिश्रा है. पिछले साल हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया था. इनके दो भाई दीपक और विनय मिश्रा हैं. प्रदीप अपने पिता के काम में उनकी मदद करते थे.
उन्होंने बड़ी मुश्किल हालत में अपनी बहन की शादी की थी. पंडित मिश्रा को बचपन से ही भक्ति भजन में काफी रुचि थी, जिसके चलते वे अपने स्कूल के दिनों में ही भजन कीर्तन किया करते थे. इन्हें सीहोर वाले बाबा के नाम से भी जाना जाता है.
इनकी प्रेरणा से बने कथावाचक
जब वे बड़े हुए तो सीहोर में ही एक ब्राह्मण परिवार की गीता बाई पराशर नाम की महिला ने उन्हें कथा वाचक बनने के लिए प्रेरित किया. गीता बाई पराशर ने उन्हें गुरुदीक्षा के लिए इंदौर भेजा. विठलेश राय काका जी उन्होंने दीक्षा लेकर पुराणों का ज्ञान प्राप्त किया. पंडित प्रदीप मिश्रा ने शुरू में शिव मंदिर से कथा वाचन शुरू किया था. इसके बाद वे सीहोर में पहली बार कथावाचक के रूप में मंच संभाला. पंडित प्रदीप मिश्रा अपने कथा कार्यक्रम में कहते हैं ‘एक लोटा जल समस्या का हल’ यही बात लोगों को खूब भाई और इन्हें लोग काफी पसंद करने लगे. वे अपने प्रवचन में शिवपुराण की कथा सबसे ज्यादा करते हैं. उपाय भी बताते हैं जिसके चलते वे प्रसिद्ध हुए. पंडित मिश्रा के सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर हैं।