राम मंदिर के गर्भगृह में हुई रामलला की प्राण प्रतिष्ठा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चढ़ाए फूल

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उत्तर प्रदेश स्थित अयोध्या में नवनिर्मित भव्य राम मंदिर के उद्घाटन और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम शुभ मूहुर्त में संपन्न हो गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में आज शुभ मूहुर्त के हिसाब से मंदिर के गर्भगृह में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई. पंडित लक्ष्मीकांत मथुरानाथ दीक्षित और गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने प्राण प्रतिष्ठा की वैदिक प्रक्रिया संपन्न कराई और रामलला बरसों बाद अपने मूल स्थान पर स्थापित हुए.

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर देशभर के गणमान्य अतिथि भी मंदिर परिसर में मौजूद रहे. प्राण प्रतिष्ठा के दौरान मंदिर के गर्भगृह में सिर्फ पांच लोग ही मौजूद थे, इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपी राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, सीएम योगी आदित्यनाथ, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत शामिल थे. पीएम मोदी ने प्राण प्रतिष्ठा से पहले ग्यारह दिन का यम तप किया था. पीएम मोदी हाथों में पूजा की सामग्री लेकर मंदिर के गर्भगृह तक पहुंचे थे.

रामलला की गर्भगृह में हुई स्थापना
राम मंदिर के गर्भगृह में भगवान रामलला के श्यामल रंग की 51 इंच की प्रतिमा को विराजित किया गया है. जो भगवान राम के पांच वर्षीय बाल स्वरूप की है. इसका वजन 200 किलोग्राम है. पीएम मोदी ने पूरे विधि विधान के साथ प्राण प्रतिष्ठा के सभी अनुष्ठान किए. जिसके बाद रामलला गर्भगृह में स्थापित हो गए हैं. 23 जनवरी से श्रद्धालु रामलला के दर्शन के लिए आ सकेंगे. मंगलवार से अयोध्या में बड़ी संख्या में रामभक्त अयोध्या पहुंचेंगे.

राम मंदिर की इतिहास
रामायण के अनुसार, भगवान श्रीराम का जन्म अयोध्या में ही हुआ था. बताया जाता है भगवान श्रीराम के पुत्र कुश ने अयोध्या में उनका मंदिर बनवाया था. 5वीं शताब्दी में उज्जैन के राजा विक्रमादित्य इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया था, लेकिन 1528 में मुगल बादशाह बाबर के कहने पर मंदिर तुड़वाकर मस्जिद का निर्माण करवाया गया था. बाद में इसे ही बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाने लगा. 1813 में पहली बार हिंदू संगठनों ने राम जन्मभूमि पर दावा किया था. अंग्रेजी शासन के दौरान 1853 में पहली बार यहां सांप्रदायिक हिंसा हुई. 1859 में अंग्रेजों ने विवादित वाली जगह के आसपास बाड़ लगवा दी थी.

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