उत्तराखंड UCC आयोग का समय बढ़ाने के पीछे क्या है BJP का प्लान? सामने आई ये बड़ी वजह

पीएम मोदी के बयान के बाद देश में समान नागरिक संहिता को लेकर बहस छिड़ गई थी. इसी दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एलान किया था जल्द ही राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया जाएगा. सीएम की इस घोषणा के बाद राज्य में सियासी सरगर्मी बढ़ गई थी. अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए उत्तराखंड में यूसीसी लागू करने में देरी हो सकती है.

देश में अगले लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई के आसपास हो सकते हैं. चर्चा है कि उत्तराखंड में अगले साल चुनाव के एलान से पहले समान नागरिक संहिता लागू किया जा सकता है. उत्तराखंड सरकार के हाल ही में लिए एक फैसले के बाद इस चर्चा को और बल मिला है. दरअसल, सरकार ने दस दिन पहले उत्तराखंड में यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति का कार्यकाल तीसरी बार बढ़ा दिया था. माना जा रहा है कि बीजेपी इस मुद्दे को चुनाव से पहले ठंडा नहीं पड़ने देना चाहती.

पिछले साल किया था समिति का गठन

न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति का कार्यकाल 27 सितंबर को समाप्त हो रहा था, जिसे चार महीने के लिए बढ़ा दिया गया. इस समिति का गठन पिछले साल 27 मई को किया गया था. समिति को इस साल जून के अंत तक यूसीसी का एक मसौदा उत्तराखंड सरकार को सौंपना था. हालांकि, तय समय पर ड्राफ्ट तैयार नहीं हो पाया.

बीजेपी ने किया था यूसीसी लागू करने का वादा

बीजेपी ने पिछले साल राज्य में विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तराखंड में यूसीसी लागू करने का वादा किया था. ये समिति यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार कर चुकी है, लेकिन इसे अभी तक राज्य सरकार को सौंपा नहीं है. समिति का कार्यकाल बढ़ाते हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि ड्राफ्ट बनाने की प्रक्रिया पूरी कर ली है, लेकिन सरकार को रिपोर्ट नहीं सौंपी जा सकी है.

पहले दो बार मिला था विस्तार

पांच सदस्यीय समिति को छह महीने का पहला विस्तार नवंबर 2022 में और चार महीने का दूसरा विस्तार इस साल मई में मिला था. यूसीसी को देश भर में लागू करने की मांग के साथ, उत्तराखंड में यूसीसी के मसौदे में देरी को लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है.

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