बिल्डर को महंगा पडा विकास कार्य नहीं करना

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भोपाल ।मेसर्स काकड़ा द्वारका बिल्डर्स एंड डेवलपर्स को प्रोजेक्ट में विकास कार्य नहीं करवाना महंगा पड गया। मप्र भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) ने मामले में ब्याज सहित मूल राशि के साथ रजिस्ट्री संबंधित कार्य में हुए खर्च का आदेश दिया है। आदेश के बाद बिल्डर ने क्षतिपूर्ति की पहली किस्त के रूप में 10 हजार रुपए मौके पर ही शिकायतकर्ता के खाते में हस्तातंरित किए। बिल्डर द्वारा रजिस्ट्री के चार साल बाद भी प्रोजेक्ट में वादे के मुताबिक विकास कार्य नहीं कराए थे। यह 
मामला शहर के भौंरी स्थित मेसर्स काकड़ा द्वारका बिल्डर्स एंड डेवलपर्स द्वारा बनाए जा रहे ‘द्वारका जी सुखद’ प्रोजेक्ट का है। शिकायतकर्ता शिवकुमार सिंह तोमर ने प्रोजेक्ट में एक प्लॉट खरीदा था। वर्ष 2013 में प्लॉट की रजिस्ट्री कराई गई। वर्ष 2017 में रेरा में दर्ज शिकायत में बताया गया था कि रजिस्ट्री के चार साल बाद भी प्रोजेक्ट में किसी भी तरह का विकास नहीं किया गया। उन्होंने बिल्डर से ब्याज सहित पूरी राशि की मांग की थी। 
    रेरा आदेश के बाद बिल्डर से बैंच ने शिकायतकर्ता को दी जाने वाली क्षतिपूर्ति राशि कब-कब दी जाएगी इसकी जानकारी ली। बिल्डर के पक्षकार ने बताया कि आवेदक को मूल राशि ब्याज सहित 8 प्रतिशत वार्षिक दर से 4 लाख 50 हजार रूपए व रजिस्ट्री खर्च की राशि 56 हजार 500 रूपए दिए जाने हैं। आगामी 25 अक्टूबर को 1 लाख 10 हजार रूपए, 25 नवम्बर 1 लाख 10 हजार और 25 दिसंबर बकाया राशि 98 हजार 334 रूपए जमा करेंगे। शिकायत कर्ता द्वारा यह राशि प्राप्त होने पर बिल्डर से प्लॉट का विक्रय पत्र निरस्त कराकर प्लॉट का भैतिक अधिपत्य प्रदान करने को कहा है। रेरा ने बिल्डर से कहा कि शिकायत कर्ता के खाते में राशि जमा कर इसकी सूचना भी देनी होगी। यदि किसी भी किश्त का भुगतान आवेदक को नहीं होता है तो मामले पर फिर सुनवाई शुरू की जाएगी। साथ ही प्रोजेक्ट पंजीयन रद्द करने संबंधित कार्रवाई की जा सकती है। 

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