इंदौर-धार-बड़वानी सहित प्रदेश के 15 जिले भूकंप के हिसाब से माने जाते हैं संवेदनशील

इंदौर धार बड़वानी मध्यप्रदेश

इंदौर की धरती के नीचे वैसे तो कभी साढ़े तीन की तीव्रता से ज्यादा का कंपन महसूस नहीं हुआ, लेकिन प्रदेश केे जिन 15 जिलों को भूकंप के हिसाब से संवेदनशील माना गया हैै, उसमें इंदौर भी शामिल हैै। भूकंप की संवेदनशीलता के हिसाब से देश के अलग-अलग हिस्सों को बांटने वाले जोन की लाइन मध्य प्रदेश की नर्मदा घाटी से गुजरती है। इंदौर नर्मदा घाटी के निकट का सबसे बड़ा शहर है और यहां बड़े निर्माण हैं, इसलिए इसे जोन तीन मेें रखा गया है। यहां के बड़े प्रोजेक्ट इस जोन को ध्यान में रखकर ही डिजाइन किए गए हैं। मेेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट के पिलरों के निर्माण भी जोन-तीन के हिसाब से हो रहे हैं। इंदौर के अलावा जबलपुर, डिंडोरी, मंडला, सिवनी, छिंदवाड़ा, देवास, धार, खरगोन, बड़वानी जिला भी भूकंप के मान से संवेदनशील माने जाते हैं। आपको बता देें कि रविवार को इंदौर सहित मालवा- निमाड़ के कई इलाकों में भूकंप के झटके महसूस हुए, हालांकि झटकों के कारण जनहानि नहीं हुई।

मध्य प्रदेश में भूकंप का इतिहास
मध्य प्रदेश ने अभी तक पांच से लेकर छह तीव्रता के तीन बड़े झटके झेले हैं। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार सोन नदी घाटी में 2 जून 1927 को भूकंप आया था। उसकी तीव्रता 6.5 थी। इसके बाद 1938 को पचमढ़ी में में भूकंप आया था। 22 मार्च 1997 को 5.8 की तीव्रता का भूकंप जबलपुर में आया था। जिसमें 40 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। जबलपुर को भी जोन 3 मेें रखा गया है। डेढ़ साल पहले नर्मदा घाटी में महाराष्ट्र के सीमावर्ती गांव में भी 3.5 की तीव्रता का झटका महसूस हुआ था।

इंदौर में बड़े निर्माण भूकंप के हिसाब से होते हैं डिजाइन
जीएसआईटीएस के एसोसिएट प्रोफेसर मिलिंद लागटे बतातेे हैं कि इंदौर जोन 3 में शामिल है। ज्यादार सरकारी भवनों को भूकंप रोधी बनाते हैं। आपदा प्रबंधन के समय सबसे ज्यादा सरकारी अमला ही मैदान में होता हैै। भूकंप के दौरान सरकारी भवनों में जनहानि न हो और शासकीयकर्मी ज्यादा प्रभावित न हों, इसलिए सरकारी भवनों की नींव मजबूत रखी जाती है। प्रो. लागटे के अनुसार अस्पताल, स्कूल, रेलवे स्टेशन की बनावट में विशेष ध्यान रखा जाता है। भूकंप झेेलने के बाद यह भवन भरभरा कर न गिरें और खतरनाक साबित न हों, इस बात का ध्यान रखा जाता है।

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