इंदौर : जब आप भाषा से दूर होते हैं तो अपने संस्कारों से भी दूर होते जाते हैं। भाषा आने वाली पीढिय़ों में संस्कारों की वाहक होती है। आज हम अपनी भाषा से दूर हो रहे हैं और संस्कारविहीन होते जा रहे हैं। इसी का परिणाम है कि आज भारत में कुछ लोग रामचरितमानस को जलाने की बात कहते हैं। यह वही लोग हैं जिनमें भाषा को समझने की ताकत ही नहीं बची है। यह बात इंदौर में आयोजित हिन्दी गौरव अलंकरण समारोह में हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल न्यायमूर्ति विष्णु सदाशिव कोकजे ने कही। वे यहां पर मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
सरकार भाषा का विकास कर रही, हमें सपोर्ट करना होगा
कोकजे ने कहा आज की सरकार भाषा का विकास कर रही है और हम सबको उसे सपोर्ट करना चाहिए। कोकजे ने कहा भाषा का विकास रुकने से हमारा ही नुकसान है। हमें कई भाषाएं सीखना चाहिए लेकिन किसी की गुलामी करना सही नहीं है। उन्होंने कहा हमारे देश में हजारों साल से जो मुहावरे दोहे बोले जा रहे हैं वह यहां की संस्कृति से जुड़े हैं। आज हम बच्चों को अंग्रेजी के दोहे सुना रहे हैं जबकि उनका हमारे देश में कोई अर्थ नहीं निकलता।
देशभर से आए कवि और साहित्यकार
इससे पहले मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा रविवार दोपहर में आयोजित समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. भगवती लाल राजपुरोहित और भारतीय जनसंचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी को हिन्दी गौरव अलंकरण से अलंकृत किया गया। इंदौर प्रेस क्लब के राजेन्द्र माथुर सभागृह में आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल न्यायमूर्ति विष्णु सदाशिव कोकजे थे। उन्होंने कहा कि ‘मातृभाषाओं का व्यवहार एवं शिक्षा में अधिक से अधिक प्रयोग किया जाना चाहिए। हम ज्यादा से ज्यादा भाषाएं सीखें सीखें किन्तु मातृभाषा का अनादर न होने दें।’ इस समारोह को सांसद शंकर लालवानी, प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी, मुस्कान भारतीय और सम्मानित अतिथि डॉ. राजपुरोहित एवं प्रो. द्विवेदी ने भी संबोधित किया। इस मौके पर नोएडा से कवयित्री पल्लवी त्रिपाठी, तेलंगाना से श्रीमन्नारायण चारी विराट, इंदौर से राकेश दांगी, छिन्दवाड़ा से भुवन सिंह धांसू एवं भोपाल से डॉ. अंशुल आराध्यम को काव्य गौरव अलंकरण प्रदान किया गया। स्वागत उद्बोधन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने दिया, सम्मान पत्र का वाचन शिक्षाविद डॉ संगीता भारूका सिंघानिया व श्रुति अग्रवाल ने किया। अतिथियों को प्रतीक चिन्ह शिखा जैन, नीना जोशी, नितेश गुप्ता, ऋतु गुप्ता, रवीना व्यास, जय सिंह रघुवंशी व मुकेश तिवारी ने दिए। संचालन कवि अंशुल व्यास ने किया और अंत में आभार अमित मौलिक ने माना।
कार्यक्रम में इनकी भी रही विशेष मौजूदगी
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. नीना जोशी, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष शिखा जैन, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य नितेश गुप्ता सहित मध्यप्रदेश अध्यक्ष अमित मौलिक, कार्यकारणी सदस्य जलज व्यास, मयंक व्यास, सूर्यकान्त नागर, डॉ. योगेन्द्र नाथ शुक्ल, अश्विन खरे, प्रदीप जोशी, डॉ गरिमा संजय दुबे, संजय त्रिपाठी, गिरेन्द्र सिंह भदौरिया प्राण, रामचंद्र अवस्थी, सुषमा दुबे, इन्दु पराशर, माला सिंह ठाकुर, गौरव साक्षी, मणिमाला शर्मा, सोनाली सिंह नारगुंदे, डॉ संगीता भारूका, श्रुति अग्रवाल, नीलम तोलानी आदि उपस्थित रहे।