श्रीलंका की नई कैबिनेट में 17 मंत्रियों की नियुक्ति, राजपक्षे परिवार की छंटनी

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कोलंबो : श्रीलंका में गोटाबाया राजपक्षे के नए मंत्रिमंडल में प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को भी शामिल किया गया है. गोटाबाया के छोटे भाई महिंदा, नई कैबिनेट में जगह पाने वाले राजपक्षे परिवार के एकमात्र सदस्य हैं. सोमवार को श्रीलंका की कैबिनेट में 17 मंत्रियों की नियुक्ति की गई. बता दें कि द्वीप राष्ट्र श्रीलंका 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है.

श्रीलंका में अप्रैल महीने की शुरुआत से ही राजनीतिक अस्थिरता का माहौल है. ताजा घटनाक्रम में श्रीलंका में नए मंत्रिमंडल का गठन हुआ है. राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और उनके बड़े भाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को छोड़कर सभी मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया. सरकार की नीतियों के खिलाफ हजारों लोगों में आक्रोश देखा गया. देश भर में आपातकाल और कर्फ्यू का विरोध किया गया. सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरे लोगों के दवाब में श्रीलंका की सरकार के सभी मंत्रियों ने पदों से इस्तीफा दे दिया.

श्रीलंका में बढ़ते विरोध के बीच राष्ट्रपति ने संभाला मोर्चा
बता दें कि श्रीलंका में मंत्रिमंडल भंग होने के बाद विपक्षी सदस्यों के साथ एकता बनाने के मकसद से राष्ट्रपति ने कैबिनेट में कुछ और लोगों को शामिल करने का सुझाव दिया था. राष्ट्रपति को विपक्षी सदस्यों को साथ लेते हुए समावेशी कैबिनेट के गठन का रास्ता साफ करने को मजबूर होना पड़ा था, लेकिन विपक्ष ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. सोमवार को नियुक्त किए गए 17 सदस्यीय मंत्रिमंडल को राष्ट्रपति राजपक्षे ने शपथ दिलाई. पहले नियुक्त किए गए तीन मंत्रियों ने भी शपथ ली.

श्रीलंका में आर्थिक कुप्रबंधन के खिलाफ जनाक्रोश
श्रीलंका के नए मंत्रिमंडल में राजपक्षे परिवार के सबसे पुराने सदस्य चमल राजपक्षे, महिंदा के बेटे नमल राजपक्षे को जगह नहीं मिली है. पहले दोनों कैबिनेट मंत्री थे और भतीजे शशिंद्र राज्य मंत्री थे. कैबिनेट की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब श्रीलंका में राष्ट्रपति और उनके परिवार के खिलाफ अर्थव्यवस्था को गलत तरीके से संभालने के आरोप में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए. बता दें कि आर्थिक संकट के चलते देश में राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है. इसके चलते लोग पिछले दिनों घंटों बिजली गुल रहने व ईंधन, खाद्य सामग्री, तथा रोजमर्रा की जरूरत के सामान की कमी से आक्रोशित जनता राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे का इस्तीफा मांग रही है.

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