इंदौर। शासकीय ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट में ट्रक बस और कार चलाने से लेकर बड़ी गाड़ियों के इंजिन और ड्राइविंग को समझ रही महिलाएं आत्मनिर्भर होना चाहती हैं. ये ऐसी महिलाएं हैं जो अपने चूल्हे चौके की जिम्मेदारी के साथ ड्राइविंग के क्षेत्र में भी आगे बढ़कर खुद के पैरों पर खड़ा होना चाहती हैं. यही वजह है कि परिवहन विभाग की पहल पर इन महिलाओं को 152 घंटे की ट्रेनिंग के साथ ड्राइविंग और संबंधित फील्ड की तमाम बारीकियां सिखाई जा रही हैं. एक महीने की ट्रेनिंग के बाद इन्हें लाइट मोटर व्हीकल श्रेणी का लाइसेंस प्रदान किया जाता है. इसके अलावा ट्रांसपोर्ट कमिश्नर मुकेश जैन और इंदौर एआरटीओ अर्चना मिश्रा की मदद से विभिन्न ट्रांसपोर्ट कंपनियों के साथ-साथ गाड़ियों के शोरूम में इन महिलाओं और लड़कियों का प्लेसमेंट भी कराया जाता है. हाल ही में इनमें से 7 युवतियों को मारुति के शोरूम में नियुक्ति मिली है, जबकि दो को होंडा लैंड मार्क में प्लेसमेंट दिया गया है. इसके अलावा 11 अन्य को सब्सिडी पर ऑटो रिक्शा प्रदान किए गए हैं. संस्थान के प्रभारी अधिकारी अनिल कुमार शर्मा के मुताबिक अब तक यहां 21 जनवरी 2011 के बाद से 160 लड़कियों को स्थाई लाइसेंस प्रदान किए गए हैं, जिनमें से अधिकांश को रोजगार मिल चुका है.