धमतरी: आज के दौर में महिलाएं आगे बढ़ रही हैं. हर क्षेत्र में ये बढ़-चढ़कर न सिर्फ हिस्सा ले रही हैं बल्कि अपना नाम भी रौशन कर रही है. आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है. इस मौके आपको धमतरी की उन महिलाओं के बारे में बताने जा रहें है, जो समाज में बदलाव के साथ-साथ अपनी आर्थिक तंगी भी दूर कर रही हैं. धमतरी की महिलाएं ऑटो चलाकर आत्मनिर्भर बन रही हैं.
रोजाना 25 से 30 किलोमीटर तक करती है सफर
दरअसल धमतरी के ग्राम इर्रा की भुनेश्वरी साहू, ग्राम लोहार पथरा की आरती विश्वकर्मा समेत 15 महिलाएं रोजाना 25 से 30 किलोमीटर अपने इलेक्ट्रिक ऑटो में धमतरी शहर तक आती हैं. दिनभर लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाती हैं. फिर शाम को अपने गांव, अपने घर और परिवार के बीच लौट जाती हैं. जब ये अपने घर लौटती हैं तो इनके हाथों में कमाई के 4 सौ से लेकर 6 सौ या कभी उससे भी अधिक रकम होती है. चेहरे पर आत्मविश्वास और गर्व होता है. दिल में कामयाबी का सुकून होता है.
आर्थिक तौर पर हो रहीं सबल
चार साल पहले तक यही महिलाएं घर की रसोई में रोटियां सेंकती थीं या खेतों में जाकर मेहनत-मजदूरी करती थीं. फिर भी हाथ में सीधी रकम नहीं आती थी. अपने बड़े-बुजुर्गों पर इन्हें निर्भर रहना पड़ता था. अब वही महिलाएं कमा कर अपने घर में आर्थिक मदद कर रही हैं. ये बड़ा परिवर्तन है. एक तरह की क्रांंति है. क्योंकि ग्रामीण परिवेश में शादी और बाल-बच्चे होने के बाद महिलाओं की नियति लगभग तय हो जाती है कि अब उन्हें घर सम्हालना है. बच्चों की देख-रेख करनी है. खाना पकाना है और जब जरूरत पड़े तो खेतो में जाकर मजदूरी भी करनी है.
हर कोई इनके हौसले को कर रहा सलाम
सामाजिक ताना-बाना और मान्यताएं ऐसी रहती हैं कि महिलाएं इससे ज्यादा आगे बढ़ने की सोच भी नहीं पातीं और एक सीमित दायरे में ही जीवन शुरू और खत्म हो जाता है. पीढ़ी-दर-पीढ़ी हर ग्रामीण महिला की लगभग यही कहानी होती है. लेकिन भुनेश्वरी और आरती जैसी महिलाओं ने उन सामाजिक और मानसिक दायरों को ध्वस्त कर गांव की शादीशुदा महिलाओं के लिये मिसाल बनी है. उम्र के किसी भी मोड़ में संभावनाओं की मौजूदगी का संदेश दे दिया है. इन महिलाओं की जितनी भी तारीफ की जाए कम है. हर कोई इन महिलाओं के हौसले को सलाम कर रहा है.