- फवाद चौधरी ने चंद्रयान-2 मिशन फेल होने पर तंज कसा- मून की बजाय मुंबई में उतर गया होगा खिलौना
- पाकिस्तान में सोशल मीडिया यूजर्स ने कहा- भारत ने कम से कम कोशिश तो की, हमने तो वह भी नहीं किया
- पाक स्पेस एजेंसी को अपना पहला कम्युनिकेशन सैटेलाइट लॉन्च करने में 50 साल लगे, वह भी चीन की मदद से
पाकिस्तान के विज्ञान और तकनीक मंत्री फवाद चौधरी ने भारत के चंद्रयान-2 मिशन का मजाक उड़ाया। उन्होंने ट्वीट किया कि खिलौना मून की बजाय मुंबई में उतर गया होगा। चौधरी के इस बयान की पाकिस्तान में ही निंदा की जा रही है। सोशल मीडिया पर पाक यूजर्स ने लिखा कि यह बचकाना बयान है। कुछ ने कहा कि भारत की अंतरिक्ष क्षमता के आगे अगर हम खुद को आंकेंगे तो बौने साबित हो जाएंगे।
चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का लैंडिंग से महज 69 सेकंड पहले पृथ्वी से संपर्क टूटने के बाद फवाद चौधरी ने कई ट्वीट किए। उन्होंने लिखा- डियर इंडिया! जो काम नहीं आता, उसमें पंगा नहीं लेते। सो जा भाई मून की जगह मुंबई में उतर गया होगा खिलौना। उफ, मैं वाकई यह महान लम्हा देखने से चूक गया।
तीखी प्रतिक्रिया पर फवाद ने कहा- मैंने मिशन फेल किया?
जब सोशल मीडिया पर उनके बयान की निंदा की गई तो उन्होंने लिखा- मैं भारतीयों की इस तरह की प्रतिक्रिया देखकर हैरान हूं। ऐसा लग रहा है जैसे मैं वो शख्स हूं, जिसने उनका मिशन नाकामयाब कर दिया। भाई मैंने कहा था कि 900 करोड़ लगाओ इन नालायकों पर? अरे सब्र करो और सोने की कोशिश करो। चंद्रयान जैसे पागलपन वाले मिशन पर और अभिनंदन को एलओसी के पार चाय पीने भेजने पर पैसा खर्च करने की बजाय अपने यहां की गरीबी से लड़ो। कश्मीर पर आपका नजरिया एक और चंद्रयान साबित होगा और इस बार प्राइज टैग ज्यादा होगा।
फवाद को पाकिस्तानियों ने दिए तीखे जवाब
फवाद के बयान पर पाकिस्तानी सोशल मीडिया यूजर्स ने तीखे जवाब दिए। फरहान रफी नाम के एक यूजर ने लिखा- कोई फवाद चौधरी का टेलीविजन इंटरव्यू करो। उससे पाकिस्तानी स्पेस प्रोग्राम के बारे में सवाल करो। उससे पूछो कि वह एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रोफिजिक्स के बारे में क्या जानता है। या फिर केवल इतना पूछो कि मून पर सॉफ्ट लैंडिंग के मायने क्या होते हैं।
- मुबाशिर जैदी ने लिखा- कम से कम उन्होंने चंद्रयान-2 के लिए कोशिश तो की। हम अपने मंत्री की प्रतिक्रिया को समझ नहीं पा रहे हैं, क्योंकि हमने तो कोशिश भी नहीं की।
- माइटी नाम के एक यूजर ने लिखा- मून मिशन ऐसा अभियान है, जिसकी हमें प्रशंसा करनी चाहिए। इसका मजाक नहीं उड़ाना चाहिए। हमें किसी खास देश का नागरिक होने के नाते विज्ञान का अनुसरण नहीं करना चाहिए, बल्कि मानव जाति का सदस्य होने के नाते ऐसा करना चाहिए।
- मुर्तजा सोलांगी ने ट्वीट किया- अगर फवाद चौधरी कोई समझदारी भरा और सभ्य कमेंट नहीं कर सकते हैं, तो उन्हें चुप रहना चाहिए। किसी हारे हुए बच्चे की तरह बात करने का कोई मतलब नहीं है। आखिरकार वे पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- मीना सोहैल ने लिखा- क्या यह दूसरी क्लास का कोई बच्चा है, जिसे बगल वाले बच्चे से विज्ञान में ज्यादा नंबर मिल गए हैं… या फिर कोई केंद्रीय मंत्री? क्या हमने चांद पर उतरने की कोई कोशिश की।
पाक स्पेस एजेंसी ने 58 साल में केवल नाकामियां देखीं
पाकिस्तानी स्पेस एजेंसी स्पेस एंड अपर एटमॉस्फियर रिसर्च कमीशन (एसयूपीएआरसीओ) की स्थापना 1961 में की गई थी यानी इसरो की स्थापना से 8 साल पहले। लेकिन, इसे अपना पहला कम्युनिकेशन सैटेलाइट लॉन्च करने में ही 50 साल लगा दिए। ये सैटेलाइट भी चीन के लॉन्चर व्हीकल की मदद से लॉन्च किया गया था। पाक सरकारों ने हमेशा ही एसयूपीएआरसीओ के विभिन्न मिशनों के लिए बजट से इनकार किया है।