बीटिंग द रिट्रीट का 1000 ड्रोन के शो के साथ समापन

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नई दिल्ली : दिल्ली के विजय चौक पर बीटिंग द रिट्रीट समारोह का धूमधाम से समापन हुआ. इस दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के समारोह स्थल पर पहुंचे जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका स्वागत किया. तत्पश्चात राष्ट्रपति को तीनों सेनाओं के प्रमुख ने सैल्यूट किया. राष्ट्रपति के अंगरक्षकों के द्वारा राष्ट्रपति को सैल्यूट दिए जाने के बाद राष्ट्रधुन बजाई गई. स दौरान एक हजार ड्रोन से आसमान जगमगा गया.

समारोह में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री और तीनों सेनाओं के प्रमुखों सहित कई गणमान्य अतिथि मौजूद रहे. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के रवाना होने से पहले उनके अंगरक्षकों ने उन्हें सलामी दी. 46 अंगरक्षकों के साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शान-ओ-शौकत के साथ बीटिंग द रिट्रीट समारोह के लिए पहुंचे.

इस दौरान सेनाओं की कुल 26 धुनें सुनाई दीं. केरल की हिंद सेना धुन भी इसमें शामिल है. ये कार्यक्रम सेना की बैरक वापसी का प्रतीक है. कैंप में संगीतमय समारोह का इस दौरान आयोजन होता है.

सेना की बैरक वापसी का प्रतीक है बीटिंग रिट्रीट

29 जनवरी को होने वाली बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी आर्मी की बैरक वापसी के प्रतीक के रूप में देखा जाता है. भारत में बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी के मुख्य अतिथि भारत के राष्ट्रपति होते हैं. विश्व में भी बीटिंग रिट्रीट की परंपरा रही है. समारोह 1955 में शुरू किया गया था और तब से गणतंत्र दिवस समारोह की पहचान है. हालांकि, यह सैन्य समारोह 17वीं शताब्दी के इंग्लैंड का है, जब इसका इस्तेमाल पहली बार पास की गश्त इकाइयों को उनके महल में वापस बुलाने के लिए किया गया था.

मूल रूप से, बीटिंग रिट्रीट को वॉच सेटिंग के रूप में जाना जाता था और सूर्यास्त के समय शाम की बंदूक से एक राउंड की फायरिंग द्वारा शुरू किया गया था.जैसे ही बिगुलरों ने पीछे हटने की आवाज दी, सैनिकों ने लड़ना बंद कर दिया, अपने हथियार रोक दिए और युद्ध के मैदान से हट गए.यही कारण है कि पीछे हटने की आवाज के दौरान अभी भी खड़े होने की प्रथा आज तक बरकरार रखी गई है. रंग और मानक आवरण वाले होते हैं और पीछे हटने पर झंडे उतारे जाते हैं. इन्हीं सैन्य परंपराओं के आधार पर बीटिंग रिट्रीट समारोह बीते समय की पुरानी यादों का माहौल बनाता है.

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