मध्य प्रदेश में गरीबों का राशन ले रहे थे एक करोड़ अपात्र, सम्पन्न का नाम हटाकर जोड़े गए वास्तविक हकदार

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भोपाल।

प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के हितग्राहियों की सूची में एक करोड़ से ज्यादा अपात्रों के नाम हटाए गए हैं। इनमें बड़ी संख्या में वे व्यक्ति शामिल हैं, जिनके नाम सूची में एक से अधिक स्थानों पर दर्ज थे। लाखों संपन्न् व्यक्तियों ने भी अपने नाम सूची में जुड़वाकर रखे हुए थे। जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी वन नेशन-वन राशनकार्ड योजना के लिए हितग्राहियों का सत्यापन हुआ और आधार नंबर से दोहराव की पड़ताल की गई, तब यह राजफाश हुआ। प्रदेश में अब चार करोड़ 90 लाख उपभोक्ता हैं, जिन्हें प्रतिमाह 25 हजार 400 उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से रियायती दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा रहा है।

प्रदेश में लगातार यह शिकायत सामने आती रही है कि पात्र व्यक्तियों को खाद्य सुरक्षा कानून के तहत पात्रता पर्ची जारी नहीं हो रही है। जब तक यह पर्ची जारी नहीं होती है, तब तक राशन दुकान से खाद्यान्न नहीं मिलता है। विधानसभा चुनाव के पहले भी विधानसभा में यह मुद्दा विपक्षी दल कांग्रेस ने उठाया था लेकिन चुनाव को देखते हुए जांच का काम उस गति से नहीं हो पाया था, जिसकी आवश्यकता थी।

कांग्रेस सरकार में भी इस ओर खास ध्यान नहीं दिया गया लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस दिशा में पहल की और वास्तविक हितग्राहियों की पड़ताल कराई। दरअसल, प्रदेश सरकार ने यह तय कर लिया था कि वन नेशन-वन राशनकार्ड योजना में हर हाल में लागू की जाएगी। इसके लिए खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग ने सभी हितग्राहियों के आधार नंबर लिए और सबका सत्यापन कराया।

सूची में दोहराव की संभावनाओं को देखते हुए सॉफ्टवेयर के माध्यम से जांच की तो इसमें बड़ी संख्या में ऐसे हितग्राहियों सामने आए, जिनके नाम एक से अधिक स्थान पर सूची में दर्ज थे। इसी तरह कई व्यक्तियों ने छह माह से राशन ही नहीं लिया था। जब विस्तृत जांच हुई तो पता लगा कि कई हितग्रहियों का निधन हो चुका है पर उनके परिजनों ने सूची में से नाम ही नहीं हटवाए। कई संपन्न व्यक्तियों के नाम भी सूची में दर्ज थे। इसकी वजह से वास्तविक गरीबों को योजना का लाभ ही नहीं मिल रहा था।

खाद्य विभाग के तत्कालीन संचालक तरुण कुमार पिथोड़े ने बताया कि हमने अभियान चलाया तो एक करोड़ से अधिक अपात्रों के नाम सूची में होने की बात सामने आई। सबसे पहले इनके नाम सूची से हटाए और पात्र व्यक्तियों को चिन्हित किया गया। लगभग 46 लाख नए हितग्राहियों के नाम सूची में शामिल किए। इन सभी को पात्रता अनुसार उचित मूल्य की राशन दुकान से खाद्यान्न् मिल रहा है। इतना ही नहीं व्यवस्था में सुधार करते हुए सभी दुकानों में पाइंट ऑफ सेल्स मशीन के माध्यम से राशन वितरण व्यवस्था लागू कर दी है।

कुछ दुकानें, जहां नेटवर्क की समस्या है, उन्हें छोड़कर बाकी जगह पात्रों को राशन मिल रहा है। 98 फीसद से अधिक हितग्राहियों को आधार से लिंक किया जा चुका है। उपभोक्ताओं को यह सुविधा भी दी गई है कि वे यदि निर्धारित उचित मूल्य की दुकान से राशन नहीं लेना चाहते हैं तो अपनी पंसद की दुकान का चयन कर सकते हैं। 40 लाख 85 हजार 192 उपभोक्ताओं ने अगस्त 2020 से 2021 तक इस सुविधा का लाभ उठाया और दूसरे जिले या दूसरी दुकान से राशन प्राप्त किया।

हर माह दो लाख 70 हजार टन लगता है गेहूं-चावल

खाद्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में हर माह लगभग दो लाख 70 हजार टन गेहूं और चावल सार्वजनिक वितरण प्रणाली में वितरित होता है। मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना के माध्यम से प्रदेश सरकार प्रति किलोग्राम एक रुपये की दर से खाद्यान्न उपलब्‍ध कराती है।

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