इस बार मंगलकारी त्रिवेणी संयोग में माटी के मंगलमूर्ति को गणेश चतुर्थी पर 10 सितंबर को घर-घर विराजित किया जाएगा। इस दिन चित्रा-स्वाति नक्षत्र के साथ रवि योग भी रहेगा। हालांकि इस दिन शुभ कार्यों के लिए अशुभ माने जाने वाली भद्रा भी रहेगी, लेकिन इसका असर विघ्नहर्ता को विराजित करने में नहीं पड़ेगा। इस बीच एक बार फिर कोरोना के चलते गणेशोत्सव के सामूहिक आयोजन पर रोक रहेगी।
दस दिनी महोत्सव के दौरान विभिन्न तीज-त्योहार मनाए जाएंगे। महाराष्ट्रीयन समाज में जहां तीन दिन के लिए ज्येष्ठा गौरा का आगमन होगा, वहीं दिगंबर जैन समाज के 10 दिनी पर्युषण पर्व भी शुरू होंगे। कृष्ण जन्माष्टमी के बाद अब गणेश उत्सव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी की शुरुआत नौ सितंबर को रात 2.06 बजे होगी, जो 10 सितंबर को रात 12.02 बजे तक रहेगी।
गणेश मूर्ति स्थापना के दिन चित्रा नक्षत्र शाम 4.59 बजे तक रहेगा और इसके बाद स्वाति नक्षत्र लगेगा। वहीं सुबह 5.42 बजे से दोपहर 12.58 बजे तक रवि योग रहेगा। ज्योतिर्विद देवेंद्र कुशवाह के मुताबिक, गणेशोत्सव 10 सितंबर से 19 सितंबर अनंत चतुर्दशी तक रहेगा। भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना का श्रेष्ठ समय चतुर्थी के दिन मध्याह्नकाल है। इस दिन चंद्रमा के दर्शन करना अहितकारी माना गया है। इस दिन चंद्र को देखने वालों पर झूठे आरोप लगते हैं।