शारदीय नवरात्रि हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है। नवरात्रि में माता रानी की पूजा करने की परंपरा है। इस दौरान भक्त नौ दिनों तक देवी दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं। नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक देवी मां को अलग-अलग भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि इन नौ दिनों में अलग-अलग रंगों के कपड़े पहनकर मां दुर्गा की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के दौरान भक्त सच्चे मन से मां की पूजा करते हैं। मां उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। अगर आप घर पर नवरात्रि की पूजा करते हैं तो आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त और पूरी विधि।
घटस्थापना शुभ मुहूर्त
इस साल शारदीय नवरात्रि पर घटस्थापना के लिए 2 शुभ मुहूर्त हैं। एक मुहूर्त सुबह और दूसरा मुहूर्त दोपहर में है। आइए विस्तार से जानते हैं। पंचांग के अनुसार इस वर्ष 3 अक्तूबर 2024, गुरुवार से शारदीय नवरात्रि आरंभ हो रही है, जो 11 अक्तूबर 2024 को समाप्त होगी।
कलश स्थापना का पहला मुहूर्त: सुबह 6:15 बजे से 7:22 बजे तक
माता रानी के भक्तों को घटस्थापना के लिए 1 घंटे 6 मिनट का शुभ समय मिलेगा। जो लोग सुबह कलश स्थापना करना चाहते हैं उनके लिए यह समय अच्छा है। सुबह शुभ-उत्तम मुहूर्त: 06:15 से 07:44 बजे तक
नवरात्रि की घटस्थापना के लिए दूसरा शुभ मुहूर्त
घटस्थापना सुबह 11:46 से दोपहर 12:33 बजे के बीच की जा सकती है। सुबह के बाद दिन में कलश स्थापना के लिए 47 मिनट का मुहूर्त है।
घर पर कैसे करें नवरात्रि पूजा
नवरात्रि के दौरान सबसे पहले ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि कर लें।
इसके बाद साफ चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
इसके बाद पूरे पूजा घर में गंगाजल छिड़ककर माता की पूजा शुरू करें।
ध्यान रखें कि कलश को हमेशा उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में ही रखना चाहिए।
इसके बाद कलश को चारों तरफ से अशोक के पत्तों से घेरकर धागे से बांध दें।
इन सब के बाद माता रानी के मंत्रों का जाप करें और आरती करके प्रसाद चढ़ाएं।
कलश स्थापना के लिए सामग्री
मिट्टी, मिट्टी का घड़ा, मिट्टी का ढक्कन, कलावा, भूसी वाला नारियल, जल, गंगाजल, लाल रंग का कपड़ा, मिट्टी का दीपक, मौली, कुछ अक्षत, हल्दी।
पूजा के लिए आवश्यक सामग्री
माँ दुर्गा की मूर्ति या चित्र, आसन के लिए लाल रंग का कपड़ा, फूल, फूलों की माला, आम के पत्ते, बंदनवार, पान, सुपारी, लौंग, बताशा, हल्दी की गांठ, थोड़ी पिसी हुई हल्दी, मौली, रोली, कमलगट्टा, शहद, चीनी, पंचमेवा, गंगाजल, नैवेद्य, जावित्री, छिलका सहित नारियल, सूखा नारियल, नवग्रह पूजन के लिए सभी रंग या चावल को रंगना, दूध, कपड़ा, दही, पूजा की थाली, दीपक, घी, धूपबत्ती आदि।
माँ दुर्गा के सोलह श्रृंगार की सूची
लाल चुनरी, लाल चूड़ियाँ, सिंदूर, बिंदी, काजल, मेहंदी, महावर, आईना, बिछिया, इत्र, चोटी, हार या मंगलसूत्र, पायल, नेल पेंट, लिपस्टिक, रबर बैंड, नाक की नथ, गजरा, माँग टीका, झुमके, कंघी, आईना आदि।
हवन के लिए सामग्री
हवन कुंड, लौंग का जोड़ा, कपूर, सुपारी, गुग्गल, लोबान, घी, पंचमेवा और अक्षत।
अखंड ज्योति के लिए सामग्री
साफ पीतल या मिट्टी का दीया, रुई की बत्ती, रोली या सिंदूर, चावल।