इंदौर ।
कृषि विभाग से लाइसेंस और अनुमति लिए बिना बायो-एनपीके के नाम से जैविक खाद बना रही पैरामाउंट एग्री टेक्नोलाजी कंपनी के सांवेर तहसील के सिमरोड़ गांव स्थित कारखाने को सील कर दिया गया है। साथ ही कंपनी के संचालक प्रकाशचंद्र सोनी के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई गई है। कंपनी के संचालक किसानों को भ्रमित करने के लिए धार, खरगोन और बड़वानी जिले की सहकारी संस्थाओं से इसकी बिक्री करवा रहे थे। इन जिलों में सहकारी संस्थाओं के प्रबंधकों के खिलाफ भी एफआइआर दर्ज की गई है। इस मामले की शिकायत कृषि मंत्री कमल पटेल तक भी पहुंची तो उन्होंने तत्परता से कठोर कार्रवाई के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए।
इंदौर में कृषि विभाग की टीम ने शुक्रवार को कंपनी के कारखाने में औचक निरीक्षण किया। इस दौरान कंपनी के गोदाम में आर्गो बायो एनपीके नाम से 41 टन खाद, गो ग्रीन बायो एनपीके के 652 बैग, बोंड-90 खाद के 10 बैग और भीम खाद के 418 बैग पाए गए। इन सभी खादों का बिना लाइसेंस के भंडारण और निर्माण पाया गया। दूसरी तरफ कंपनी को जिन उर्वरक उत्पादों के नाम से लाइसेंस मिला था उनकी पैकिंग पर गलत लाइसेंस नंबर लिखा हुआ था। जांच के लिए कृषि अधिकारी विजय जाट, संदीप यादव, गोपेश पाठक, राजेंद्रसिंह तोमर, जितेंद्र चारेल पहुंचे थे। अधिकारियों ने खाद के आठ और पेस्टीसाइड के पांच नमूने जांच में लिए।
सात साल से चल रहा था कारखाना : अवैध तरीके से खाद और कीटनाशक बनाने वाला यह कारखाना सात साल से चल रहा है। इसका टर्नओवर करीब आठ करोड़ रुपये बताया जा रहा है।