कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की कुर्सी को लेकर चल रही अटकलों के बीच राज्य भाजपा के प्रभारी व पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने कहा है कि पार्टी में कोई मतभेद नहीं है। बुधवार को मीडिया से बातचीत में अरुण सिंह ने कहा कि ‘पार्टी में कोई मतभेद नहीं है और हम एक हैं। मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में बेहतरीन काम चल रहा है।’
अरुण सिंह तीन दिवसीय दौरे पर बेंगलुरु आए हैं और इस दौरान वह बृहस्पतिवार को सत्ताधारी दल के विधायकों के साथ चर्चा करेंगे तथा शुक्रवार को प्रदेश भाजपा की कोर कमेटी को संबोधित करेंगे। कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच हाल ही में अरुण सिंह ने मुख्यमंत्री को बदलने की खबरों का खंडन किया था और कहा था कि येदियुरप्पा पद पर बने रहेंगे। माना जा रहा है कि भाजपा का एक वर्ग येदियुरप्पा को पद से हटाने का दबाव बना रहा है।
भाजपा नेता के दौरे से पहले कर्नाटक कांग्रेस ने ट्वीट किया था कि ‘श्री अरुण सिंह, आप यहां ‘प्लेटफॉर्म पंचायत बैठक के लिए आ रहे हैं लेकिन आपके पास लोगों की शिकायतें सुनने का समय नहीं है? सत्ता में आने के पहले दिन से ही, यह सरकार अपनी उपलब्धियों के कारण नहीं बल्कि अंतर्कलह की वजह से सुर्खियों में रही है।’ विपक्षी दल ने आरोप लगाया है कि जब राज्य में गंभीर समस्याएं थीं तब भारतीय जनता पार्टी की अंदरूनी कलह चरम पर थी।
इधर कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष नलीन कुमार कटील ने भी राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की संभावना से बुधवार को एक बार फिर इनकार कर दिया। कटील ने संवाददाताओं से कहा, ”नेतृत्व परिवर्तन का तो सवाल ही नहीं उठता। मुख्यमंत्री येदियुरप्पा अगले दो साल तक पद पर बने रहेंगे। हालांकि, ग्रामीण विकास मंत्री के एस ईश्वरप्पा ने यह स्वीकार किया कि पार्टी के भीतर के कुछ लोग चाहते हैं कि मुख्यमंत्री को हटाया जाना चाहिए। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ”आप जो कह रहे हैं वह सही है। कुछ लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री को बदला जाना चाहिए जबकि कुछ का कहना है कि उन्हें (येदियुरप्पा को) मुख्यमंत्री बने रहना चाहिए। कुछ लोग दिल्ली से होकर आए हैं।
उन्होंने उम्मीद जताई कि सारे मुद्दे सुलझा लिए जाएंगे क्योंकि यहां के दौरे पर आए अरुण सिंह मंत्रियों, विधायकों और सांसदों से मिलकर उनकी राय जानेंगे और इस बारे में केंद्रीय नेतृत्व को अवगत करवाएंगे। बता दें कि भाजपा की राज्य इकाई के पूर्व अध्यक्ष ईश्वरप्पा ने 31 मार्च को राज्यपाल वाजूभाई वाला से मुलाकात करके उन्हें पांच पन्नों का एक पत्र सौंपा था जो मुख्यमंत्री की ”गंभीर त्रुटियों और प्रशासन चलाने के तानाशाही भरे रवैये के बारे में था।