UP लॉक से कारोबार डाउन:10 से ज्यादा ट्रक वालों ने कहा- 1 जून से छूट नहीं मिली तो भी शुरू कर देंगे काम,व्यापारी बोले- बाजार खोले सरकार

लखनऊ:उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन खोलने की मांग तेज होने लगी है। रिटेल और लघु उद्योग से जुड़े कारोबारियों ने सरकार से इसकी मांग की है। यूपी के लखनऊ समेत कई जिलों में लॉकडाउन लगने से पहले ही कारोबारियों ने खुद बाजार बंद करने का फैसला किया था। उनकी दलील है कि मौजूदा समय सहालग काफी तेज है। लोग शादियों के लिए सामान खरीदना चाहते हैं, लेकिन उनको परेशानी हो रही है। इसके अलावा प्रदेश के करीब 10500 ट्रांसपोर्टर्स ने चेतावनी दी है कि उनको 1 जून से कारोबार करने की छूट नहीं मिली तो भी वे कार्यालय खोलकर काम शुरू कर देंगे। देशभर में ट्रकों का संचालन करने लगेंगे। ट्रांसपोर्टर्स को लॉकडाउन में साढ़े पांच करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है।

चोरी छिपे हो रहा कारोबार

रिटेल और लघु उद्योग से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि कुछ लोग चोरी छिपे सामान बेच भी रहे हैं तो बिल नहीं देते हैं। इससे बड़े स्तर पर टैक्स की चोरी भी हो रही है। कुछ ब्रांडेड सामान में बाद में बिल देने की बात है। लेकिन ज्यादातर प्रोडक्ट की खरीदारी बिना बिल के हो रही है। कारोबारियों ने यह भी कहा कि उनको फ्रंट लाइन वर्कर में शामिल किया जाए।

प्रदेश में स्माल इंडस्ट्रीज मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन, उप्र उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल, अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल, उप्र आदर्श व्यापार मंडल और सामाजिक उद्योग व्यापार मंडल समेत 20 से ज्यादा छोटे बड़े संगठनों ने बाजार को खोलने की मांग तेज कर दी है। दलील है कि इससे काफी नुकसान हो रहा है। संगठनों का दावा है कि हर महीने करीब 40 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार यूपी में प्रभावित हो रहा है।

हर महीने 6 हजार करोड़ रुपए का जीएसटी

स्माल इंडस्ट्रीज मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष शैलेन्द्र श्रीवास्तव बताते हैं कि प्रदेश सरकार को साल में करीब 72 हजार करोड़ रुपए का जीएसटी मिलता है। औसतन हर महीने 6 हजार करोड़ रुपए आते हैं। सरकारी खजाने में यह छह हजार रुपए तब जाएंगे, जब प्रदेश में 60 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की खरीदारी या कारोबार हो। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों मेडिकल और बाकी कुछ सेक्टर को छोड़ दिया जाए तो बाजार पूरी तरह से ठप है। ऐसे में न सिर्फ कारोबारियों को बल्कि प्रदेश सरकार को भी लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है। मौजूदा समय करीब 70 फीसदी तक टैक्स और कारोबार बंद है। इसमें ज्यादातर वही काम बंद हैं, जो 18 या 28 फीसदी के जीएसटी स्लैब में आते हैं।

कर्मचारियों का वेतन देना हो रहा मुश्किल
लखनऊ व्यापार मंडल के महामंत्री पवन मनोचा बताते हैं कि स्थिति पहले से खराब थी। अब कर्मचारियों का वेतन देना मुश्किल है। पिछली बार भी कारोबारियों ने अपने घर से वेतन दिया था। अब इस बार वह ज्यादा नुकसान झेलने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि बाजार को खोलने का निर्देश दे। हालांकि, इसमें बाजारों में सख्ती और एक समय दुकानों पर ग्राहकों की संख्या जगह के हिसाब से तय कर देना चाहिए। जिससे सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे।

20 लाख रिटेलर से जुड़ी दो करोड़ से ज्यादा की आबादी
व्यापारी नेता बनवारी लाल कंछल बताते हैं कि राज्य में जीएसटी के तहत पंजीकृत करीब 20 लाख कारोबारी हैं। इनके यहां बड़ी संख्या में कर्मचारी भी काम करते हैं। कर्मचारियों और व्यापारियों को परिवार के जोड़ दिया जाए तो करीब दो करोड़ की आबादी इस पर सीधे निर्भर करती है।

चार घंटे के लिए ही पर खोलें बाजार
उन्होंने बताया कि सरकार से हमने मांग की है कि चार घंटे के लिए सही लेकिन बाजार को खोल दिया जाए। इससे लोग शादी की खरीददारी कर लेंगे।

यह भी मांग रखी गई है

1-व्यापारियों को आर्थिक पैकेज दिया जाए
2-बैंकों को कर्ज वापस न देने की स्थिति में सिवील खराब न हो।
3-कारोबारियों को फ्रंट लाइन वर्कर मानते हुए, जो लोग दुकान चला रहे और संक्रमित होकर मरे हैं। उनके को मुआवजा दिया जाए।


ट्रांसपोर्टर्स की चेतावनी- छूट नहीं दी तो भी चलाएंगे ट्रक इधर यूपी के करीब 10500 ट्रांसपोर्टर्स ने भी योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर ली है। मेरठ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने कहा है कि यदि 1 जून से लॉकडाउन में ट्रकों के आवागमन की छूट नहीं दी गई तो भी वे अपना काम शुरू कर देंगे। कार्यालय खोलकर ट्रकों का आवागमन करेंगे, क्योंकि ट्रांसपोर्टर लॉकडाउन में कर्ज में दबने लगे हैं। उन्हें सरकार की ओर से कोई रियायत भी नहीं दी गई है। ऐसे में चाहे पुलिस मुकदमा दर्ज करे ले हम डरने वाले नहीं हैं। ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने सरकार से मांग की है कि टैक्स इंश्योरेंस और परमिट फीस में रियायत दे। लॉकडाउन में ट्रांसपोर्टर्स को 5.5 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। मेरठ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन से उत्तर प्रदेश के अलावा पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, बिहार, गुजरात, राजस्थान और दूसरे प्रदेशों तक आवागमन होता रहा है।

ट्रक एक महीने से खड़े हैं ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष गौरव कुमार शर्मा का कहना है कि सभी ट्रक एक महीने से खड़े हुए हैं। ट्रकों के टैक्स परमिट इंश्योरेंस की फीस में किसी भी प्रकार की छूट देने का सरकार से कोई आश्वासन तक नहीं मिला है। सभी ट्रांसपोर्ट के ट्रक फाइनेंस पर होते हैं, जिनकी किस्त प्रतिमाह देना अनिवार्य होता है। किस्त जमा करने के लिए फाइनेंसर ट्रांसपोर्टर्स को परेशान कर रहे हैं। इसके अलावा वे लेबर, मैकेनिक, ट्रांसपोर्ट के स्टाफ, ड्राइवर और क्लीनर को तनख्वा देने की स्थिति में भी नहीं हैं। ऊपर से केन्द्र सरकार द्वारा प्रतिदिन डीजल के भाव बढ़ाए जा रहे हैं। जिससे ट्रांसपोर्टर्स परेशान हैं।

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