चार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के विधानसभा चुनावों के नतीजे सामने आ गए हैं। अंतिम नतीजों और रुझानों से भाजपा के शानदार प्रदर्शन और कांग्रेस के फ्लाप शो की तस्वीर साफ है। इन नतीजों ने मोटे तौर पर सत्ता विरोधी लहर को भी खारिज कर दिया। बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने, असम में भाजपा ने और केरल में एलडीएफ ने सत्ता बरकरार रखी है। तमिलनाडु और पुडुचेरी में सत्ता परिवर्तन हो रहा है। तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक को हराकर स्टालिन के नेतृत्व में द्रमुक सत्ता में आ रही है। वहीं पुडुचेरी में राजग ने यूपीए के हाथ से सत्ता ले ली है। अब इन राज्यों में नई सरकार के गठन का काम तेज हो गया है। ममता बनर्जी सोमवार को राज्यपाल से मिलेंगी और सरकार बनाने का दावा पेश करेंगी। वहीं टीएमसी नंदीग्राम में दोबारा मतगणना की मांग की और ऐसा नहीं होने पर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जा सकता है।
बंगाल के चुनाव पर पूरे देश की निगाह टिकी थी। यहां तृणमूल ने सत्ता में जबर्दस्त तरीके से वापसी की है। हालांकि पार्टी के लिए निराशाजनक यही रहा कि ममता अपनी ही सीट नहीं बचा पाईं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भाजपा में शामिल हुए सुवेंदु अधिकारी ने नंदीग्राम में 1956 वोटों से हरा दिया। तृणमूल ने यहां मतों की पुनर्गणना की मांग की, जिसे चुनाव आयोग ने ठुकरा दिया। ममता ने इसके खिलाफ अदालत जाने की बात कही है। वैसे राज्य में तृणमूल का प्रदर्शन सुधरा है। पिछली बार 211 सीटें जीतने वाली तृणमूल के खाते में 213 सीटें आती दिख रही हैं। खबर लिखे जाने तक पार्टी 205 सीटें जीत चुकी थी और आठ पर आगे चल रही थी। पार्टी का वोट प्रतिशत 44 से 48 पर पहुंच गया है। ममता सोमवार शाम को सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती हैं। भाजपा ने भी बंगाल में अपना दम दिखाया है। 294 सीटों वाली विधानसभा में 2016 में तीन सीट पर जीतने वाली भाजपा इस बार 77 सीटों पर जीत हासिल कर रही है। पार्टी का वोट प्रतिशत 10 से 38 पर पहुंच गया है। इस बार राज्य में 292 सीटों पर मतदान हुआ है। नतीजे कांग्रेस और वामदलों को आईना दिखाने वाले हैं। बंगाल में इनका खाता भी नहीं खुला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने बंगाल में शानदार प्रदर्शन के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को बधाई दी है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ममता बनर्जी और द्रमुक के एमके स्टालिन को फोन कर जीत की बधाई दी।
असम में कांग्रेस का सपना टूटा: असम में भी कांग्रेस के लिए नतीजे अच्छे नहीं रहे। यहां सत्ता विरोधी लहर पर सवार होकर भाजपा को हराने की कांग्रेस की कोशिश रंग नहीं लाई। 126 सीटों वाली विधानसभा में भाजपा और उसके सहयोगी दलों के खाते में 75 सीटें आ रही है। खबर लिखे जाने तक अकेले भाजपा 54 सीटें जीतकर छह सीटों पर आगे चल रही थी। भाजपा पहली गैर कांग्रेस पार्टी है जो असम में लगातार दूसरी बार सत्ता में आ रही है।
केरल में नहीं काम आई राहुल की मेहनत: इस बार केरल की वायनाड लोकसभा सीट से संसद में पहुंचे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने यहां विधानसभा चुनाव में पार्टी की कमान संभाली थी। अभियान का ज्यादातर समय उन्होंने केरल में ही बिताया था। इसके बावजूद उनकी मेहनत काम नहीं आई। मुख्यमंत्री पी विजयन के नेतृत्व में वाम गठबंधन एलडीएफ 140 सदस्यीय विधानसभा में 99 सीटों के प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बना रहा है। कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ के खाते में 41 सीटें आई हैं। केरल में 40 साल बाद पहली बार किसी गठबंधन ने लगातार दूसरी बार सत्ता हासिल की है। यहां भाजपा ने अपनी इकलौती सीट भी गंवा दी है।
तमिलनाडु में स्टालिन का चमत्कार: अन्य राज्यों से इतर तमिलनाडु में सत्ता बदल रही है। खबर लिखे जाने तक मिले नतीजों और रुझानों के आधार पर यहां 234 सदस्यीय विधानसभा में द्रमुक अकेले 132 सीटों पर जीत रही है, जिसका पूरा श्रेय पार्टी प्रमुख एमके स्टालिन को जाता है। द्रमुक की सहयोगी के तौर पर लड़ी कांग्रेस को 17 सीटें मिल रही हैं। सत्ताधारी अन्नाद्रमुक व सहयोगी दल 79 सीटों पर सिमटते दिख रहे हैं।