मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा-आक्सीजन और रेमडेसिविर का कोटा बढ़ाने पर विचार किया जाए

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जबलपुर ।

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि 19 अप्रैल के आदेश के परिपालन में सरकारी और निजी अस्पतालों को पर्याप्त और निरंतर आक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस अतुल श्रीधरन की युगलपीठ ने अपने 22 पृष्ठीय अहम आदेश में साफ किया है कि केन्द्र सरकार मध्यप्रदेश के आक्सीजन और रेमडेसिविर के कोटे को बढ़ाने पर विचार करें। मामले की अगली सुनवाई छह मई को निर्धारित की गई है।

उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट द्वारा कोरोना के इलाज पर स्वत: संज्ञान लेकर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई की जा रही है। कोर्ट मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ की ओर से आवेदन दायर कर बताया गया कि हाई कोर्ट द्वारा 19 अप्रैल को आक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर दिए गए आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है। वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद मोहन माथुर, शशांक शेखर, संजय वर्मा और राजेश चंद ने भी आक्सीजन और रेमडेसिविर की कमी और आरटी-पीसीआर टेस्ट में विलंब का मुद्दा उठाया।

मप्र का ऑक्सीजन कोटा 100 मीट्रिक टन और बढ़ाने पर विचार करो :हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की आक्सीजन मैनेजमेन्ट टॉस्क फोर्स कमेटी को निर्देश दिया है कि मध्य प्रदेश का आक्सीजन कोटा 100 मीट्रिक टन और बढ़ाने पर विचार किया जाए। इस संंबंध में राज्य सरकार नौ अप्रैल, 2021 को केंद्र सरकार को पत्र लिख चुकी है। \B

रेमडेसिविर वितरण नीति पर पुनर्विचार करने के निर्देश : हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की उस नीति का नकार दिया है कि जिसके जरिए रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए मरीज का आक्सीजन पर होना अनिवार्य किया गया था। राज्य सरकार को इस नीति पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि मरीज को रेमडेसिविर इंजेक्क्शन लगेगा या नहीं, यह डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्सन के आधार पर तय किया जाएगा। यह निर्णय प्रशासनिक अधिकारी नहीं कर सकते हैं।

रेमडेसिविर का कोटा 20 प्रतिशत से अधिक बढ़ाने पर विचार करो : राज्य सरकार की ओर से जानकारी दी गई कि 30 अप्रैल 2021 तक मप्र को 95 हजार रेमडेसिविर इंजेक्शन का कोटा निर्धारित किया गया है। जिसमें 45 हजार सरकारी अस्पताल और 50 हजार निजी अस्पतालों के लिए नियत है। डिवीजन बैंच ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि स्थिति को देखते हुए मध्यप्रदेश का रेमडेसिविर का कोटा 20 प्रतिशत या उससे अधिक बढ़ाए जाने पर विचार किया जाए। केंद्र सरकार को इस पर भी विचार करने का निर्देश दिया गया है कि राज्यों को रेमडेसिविर और अन्य जीवनरक्षक दवाओं के आयात या खुद खरीदने की अनुमति दी जाए।

दिन में चार बार लिए जाए कोरोना सैम्पल कलेक्शन : हाईकोर्ट ने आदेश दिया है दिन में दो बार की जगह दिन में चार बार कोरोना सैम्पल कलेक्शन किए जाए, ताकि 36 घंटे में कोरोना की आरटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट आ सके। इसके लिए तकनीकी स्टाफ भी बढ़ाने का निर्देश दिया है।हाई कोर्ट ने कोरोना टेस्ट की अधिकृत लैबों की संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया है।

कोरोना मरीजों का बायो मेडिकल वेस्ट हटाने विशेष अभियान चलाया जाए :कोर्ट मित्र की ओर से बताया गया कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर में कोरोना मरीजों के इलाज के बाद पीपीई किट, मॉस्क और ग्लब्स को खुले मैदान में फेंका जा रहा है। इस पर संज्ञान लेते हुए डिवीजन बैंच ने राज्य सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को विशेष अभियान चलाकर कोरोना मरीजों के इलाज से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट का हटाने के लिए विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया है।

ऑक्सीजन टैंकरों के लिए ग्रीन कारीडोर बनाया जाए : डिवीजन बैंच ने केन्द्र सरकार को निर्देश दिया है कि ऑक्सीजन टैंकरों के लिए ग्रीन कॉरीडोर बनाया जाए। इसके पूर्व केन्द्र सरकार की ओर से आश्वासन दिया गया कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी राज्य में ऑक्सीजन टैंकरों को नहीं रोका जाएगा। इस संबंध में सभी राज्यों को निर्देश दिए जा रहे है। हाईकोर्ट एडवोकेट्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज शर्मा ने आवेदन दायर कर कहा था कि बोकारो से सागर आ रहे ऑक्सीजन टैंकर को झांसी में रोक लिया गया था।

भर्ती करने से मना नहीं कर सकते अस्पताल: हाईकोर्ट ने कहा कि निजी अस्पतालों द्वारा आयुष्मान, दीनदयाल, बीपीएल और सीजीएचएस योजना के अंतर्गत मरीजों को भर्ती करने से इनकार किया जा रहा है। राज्य सरकार मरीजों को भर्ती करने से इनकार करने वाले अस्पतालों पर कार्रवाई करें।

निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट के लिए लोन: डिवीजन बैंच ने आदेश में कहा है कि निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए सॉफ्ट लोन दिए जाने पर विचार किया जाए। इस संबंध में राज्य सरकार बैंक और वित्तीय संस्थाओं से बातचीत करें।

ऑक्सीन की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित कराएं : हाई कोर्ट ने कहा कि मध्य प्रदेश के कोविड मरीजों को समय पर ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। इस पर केंद्र की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल जिनेंद्र कुमार जैन ने साफ किया कि केंद्र अपनी जिम्मेदारी गंभीरता से निभा रहा है।केंद्र की ओर से होने वाली आपूर्ति बिना किसी बाधा के नियत स्थान तक पहुंच रही है। हाई कोर्ट ने कहा कि पूर्व में बार-बार दिशा-निर्देश जारी किए जाने के बावजूद कोरोना की प्रथम टेस्ट की रिपोर्ट 36 घंटे के भीतर मुहैया नहीं कराई जा रही है। इसके बदले 72 घंटे लगाए जा रहे हैं। यह हालत चिंताजनक है। शासकीय अथवा निजी पैथालॉजी में होने वाली कोविड जांच की पहली रिपोर्ट हर हाल में 36 घंटे के भीतर मुहैया करा दी जानी चाहिए। ऐसा इसलिए ताकि कोविड पॉजिटिव मरीजों का इलाज अपेक्षाकृत समय पर शुरू हो सके। इसके अलावा दिन में दो बार के बदले चार बार सेंपल एकत्र करने की दिशा में भी गंभीरता से ध्यान दिया जाए। वर्तमान के मुकाबले सेंपल एकत्रीकरण दो गुना किया जाए।

सरकार खुद निभाए अपनी जिम्मेदारी : हाई कोर्ट के उक्त निर्देश के संदर्भ में महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव की ओर से साफ किया कि आइसीएमआर को निर्देश जारी किए बिना यह लक्ष्य हासिल करना संभव नहीं है। इस पर हाई कोर्ट ने साफ किया कि यह जिम्मेदारी राज्य शासन स्वयं के स्तर पर पूर्ण करे। इस सिलसिले में हाई कोर्ट को हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि पहने से मौखिक दिशा-निर्देश जारी किया जाता रहा है। \B

आयुष्मान कार्ड आदि की उपेक्षा न की जाए : हाई कोर्ट ने आयुष्मान कार्डधारकों, बीपीएल, दीनदयाल अंत्योदय उपचार योजना, सीजीएचएस आदि कार्डधारकों को निजी अस्पतालों में कैशलेस इलाज की सुविधा से वंचित किए जाने के रवैये को आडे हाथों लिया। साथ ही सख्त निर्देश दिया कि यदि इस संबंध में किसी तरह की ठोस शिकायतें मिलती हैं, तो राज्य शासन की जिम्मेदारी है कि वह कड़ाई से कार्रवाई सुनिश्चित करे। निजी अस्पतालों को आयुष्मान कार्डधारकों आदि के आवेदन हर हाल में स्वीकार करने चाहिए।

बायोमेडिकल वेस्ट नियमानुसार डिस्पोज करने अभियान चलाएं : कोर्ट मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने जबलपुर, भोपाल, इंदौर व ग्वालियर आदि शहरों में बायोमेडिकल वेस्ट पीपीई किट व मास्क आदि मनमाने तरीके से फेंके जाने के रवैये पर चिंता जताई। साथ ही राज्य शासन व प्रदूषण नियंत्रण मंडल को निर्देश दिया कि विशेष अभियान चलाकर बायोमेडिकल वेस्ट अधिनियम-1998 के तहत डिस्पोजल की दिशा में कार्रवाई की जाए।

रेमडेसिवर व टेबीफ्लू आदि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराएं : हाई कोर्ट ने रेमडेसिविर व टेबीफ्लू आदि दवाएं कोविड मरीजों के लिए पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराने पर बल दिया। इनकी कमी के चलते कोविड मरीजों को परेशानी नहीं होनी चाहिए।केंद्र की ओर से साफ किया गया कि इस दिशा में राज्य की समुचित सहायता की जा रही है। इस पर हाई कोर्ट ने 20 फीसद उपलब्धता बढ़ाने पर बल दिया।

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