इंदौर के श्मशानों में अपनों का इंतजार कर रही पोटलियों में रखी अस्थियां

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इंदौर।

कोरोना ने हमारे जीवन में क्या-क्या बदल दिया। जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे अपनों को करीब से देख नहीं सकते। मरने का बाद अस्थियां तक नहीं लेजा सकते। श्मशान घाट पर अस्थियां मटकियों और पोटली में बंधी हुई टंगी है, जिन्हें अपनों का इंतजार है। इंदौर शहर के विजयनगर श्मशान घाट के दरोगा संजय घारू के मुताबिक करीब 200 लोगों की अस्थियां यूं ही टंगी हुई है। लाकडाउन और कोरोना के कारण अंतिम संस्कार विधी विधान से नहीं कर पा रहे है, जो हिंदू रिती रिवाज के अनुसार होना चाहिए। अंतिम संस्कार में गिने चुने लोग ही आते हैं। जो आते है वो दूर से ही प्रणाम कर चले जाते हैं। नियमानुसार दाह संस्कार के तीसरे दिन स्वजन फूल (अस्थियां) लेने श्मशान में आते हैं। लेकिन अब इतना वक्त नहीं रहा। लाशों की कतारें लगी हुई हैं तो दूसरे दिन फावड़े से समेट कर राख हटा देते हैं।

अंतिम संस्कार के पहले ही बोल देते हैं कि तीसरे दिन का इंतजार मत करना। कल सुबह आकर राख और अस्थियां ले जाना। कुछ लोग आते हैं और अपनों की अस्थियां मटकी या पोटली में बांध कर मटकी, डिब्बे, थैलों में रख जाते हैं। पूछने पर बताते हैं कोई गंगा तो कोई गया जी या हरिद्वार में विसर्जन करेगा। लेकिन कोरोना और लाकडाउन के कारण फिलहाल नहीं जा सकते। दरोगा के मुताबिक अमूमन सभी श्मशानों का यही हाल है। अस्थियों की पोटली या डिब्बे पर मार्कर से नाम लिखकर रैक में जमा कर दिया जाता है।

श्मशानों के आंकड़े बता रहे मौतों का हाल

इंदौर के पांच श्मशान घाट पर हुए दाह संस्कार के आंकड़ें डरावने हैं। 1 अप्रैल से 12 अप्रैल तक सैंकड़ों लोगों की चिताएं जल चुकी हैं। यह संख्या आम दिनों से कई गुना ज्यादा है। पंचकुईयां मुक्तिधाम में 285 शव पहुंचे हैं। जिसमें 72 की कोरोना से मौते हुई है। रीजनल पार्क मुक्तिधाम में कुल 150 लोगों के शव पहुंचे है, उसमें से 60 लोगों की कोरोना के कारण मौत होना दर्ज है। इसी तरह मालवा मील मुक्तिधाम में कुल शव 185 शव आए थे, उसमें से 50 की कोरोना से मृत्यु हुई थी। मेघदूत नगर मुक्तिधाम में कुल शव आए 231 पहुंचे और उनका दाह संस्कार हुआ, जिसमें से 97 की कोरोना के मौत हुई है। वहीं तिलकनगर मुक्तिधाम में कुल 150 का अंतिम संस्कार हुआ था, जिसमें 40 लोगो की कोरोना के कारण मौत हुई थी।

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