वैज्ञानिक ने बनाया कचरा साफ करने वाला ऑटोमैटिक वाहन, कीटनाशक छिड़काव करने में भी उपयोगी

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भोपाल: रेलवे ट्रैक पर भिनभिनाती हुई मक्खियों का झुंड ट्रेन के आते ही प्लेटफार्म पर बैठे यात्रियों को परेशान करने लगता है। जिन स्टेशनों के प्लेटफार्मों पर गंदगी होती है वहां हमेशा यह स्थिति बनती है। चार साल पहले भोपाल के राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान में एसोसिएट प्रोफेसर और वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शरद कुमार प्रधान के साथ झांसी स्टेशन पर ऐसा ही हुआ था। तभी उन्हें गंदगी से लड़ने वाले आधुनिक उपकरण को इजाद करने का विचार आया और तीन साल में उन्होंने गंदगी साफ करने वाला ऑटोमैटिक वाहन बना डाला है।

यह वाहन रेलवे ट्रैक और सड़क दोनों पर चलने में सक्षम है जो गीला-सूखा कचरा और उस पर बैठे मच्छर-मक्खी वैक्यूम के जरिए खींच लेता है। यह रेलवे ट्रैक व सड़क धोने के साथ-साथ कीटनाशक का छिड़काव करता है। इसके निर्माण व अनुसंधान में लगभग 51 लाख रुपये खर्च हुए हैं। डॉ. प्रधान ने इसका नाम रोड-कम रेलवे ट्रैक क्लीनिंग वाहन दिया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने प्रोफेसर व उनकी टीम के इस बहुआयामी काम की तारीफ की है। डॉ. प्रधान ने आइआइटी दिल्ली से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी की है। पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर सेंट्रल मैकेनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च में वैज्ञानिक रह चुके हैं। इस वाहन को बनाने में जूनियर रिसर्च फेलो वरण जैन व अभिषेक साहू ने मदद की है।

वाहन की खासियत

  • चार रबड़ टायर व चार लोहे के पहिए हैं। सड़क पर रबड़ टायर व ट्रैक पर लोहे के पहिए से चलने में सक्षम है।
  • 500 किलोग्राम सूखा कचरा जमा करने का टैंक है।
  • 250 लीटर गीला कचरा अवशोषित कर जमा करने वाला टैंक है।
  • 500 लीटर पानी का टैंक है।
  • 100 लीटर कीटनाशक रखने की क्षमता है।
  • साढ़े चार टन वजन है।
  • एक ड्राइवर व सहायक ऑपरेट कर सकते है।
  • ड्राइवर कैबिन में इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले है जो सड़क व ट्रैक पर कचरे की स्थिति को दिखाता है।
  • गाजियाबाद की एक कंपनी ने प्रोफेसर व उनकी टीम की डिजाइन के आधार पर निर्माण किया है।
  • 500 मीटर लंबे रेलवे ट्रैक को 15 मिनट में साफ कर देता है।
  • 40 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से सड़क पर चलने में सक्षम है।
  • 1 लीटर डीजल में 10 किलोमीटर चलने में सक्षम

हबीबगंज में हो चुका है ट्रायल

उक्त कचरा वाहन का बीते साल भोपाल के हबीबगंज में रेलवे ट्रैक पर ट्रायल किया जा चुका है।

ये होंगे फायदे

कम समय में रेलवे ट्रैक व सड़क साफ की जा सकेगी। खर्च कम आएगा। ड्राइवर व सहायक के अलावा इंसानों की जरूरत नहीं होगी। कचरा साफ करने के साथ-साथ कीटनाशक के छिड़काव व ट्रैक-सड़क धुलाई का काम भी हो सकेगा।

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