पाकिस्तान को चीन ने दिया धोखा, बेपटरी हुई इमरान खान की रेल

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पाकिस्‍तान और चीन की दोस्‍ती का दुष्‍प्रभाव अब प्रत्‍यक्ष तौर पर नजर आने लगा है। ऊर्जा क्षेत्र से लेकर अपने तमाम महत्‍वपूर्ण सेक्‍टरों को चीन की झोली में डालने के बाद इमरान खान की सरकार को अब पाकिस्‍तान रेलवे को ट्रैक पर बनाए रखने के लिए बुरी तरह संघर्ष करना पड़ रहा है। बीजिंग अब चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे यानी (China Pakistan Economic Corridor, CPEC) के तहत चल रही प्रमुख परियोजनाओं की फंडिंग से अपने हाथ खींच रहा है। बता दें कि चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा यानी सीपीईसी चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) की महत्‍वाकांक्षी परियोजना का अहम हिस्‍सा है।

रेलवे को चलाने के भी हाथ फैलाने की नौबत 

आलम यह है कि पाकिस्‍तान की सरकार को रेलवे को चलाने के लिए भी अब हाथ फैलाने की नौबत आन पड़ी है। वहीं चीन पाकिस्‍तान को बिना गारंटी के कर्ज देने से अब बचने की कोशिशें कर रहा है। पाकिस्‍तानी अखबार ‘द एक्‍सप्रेस ट्रिब्‍यून’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन की शी चिनफिंग की सरकार ने पाकिस्तान की कमजोर वित्तीय स्थिति के कारण मेन लाइन -1 (ML-1) परियोजना के लिए छह अरब डॉलर के कर्ज को मंजूर करने से पहले अतिरिक्त गारंटी की मांग की थी।

मेन लाइन -1 परियोजना पर भी संकट 

मालूम हो कि मेन लाइन -1 (ML-1) पाकिस्तान की पहली और सबसे बड़ी परिवहन क्षेत्र परियोजना है जिसे सीपीईसी के तहत चार पाकिस्तानी प्रांतों से होते हुए पेशावर से कराची तक जाना है। दिसंबर में आई ‘द एक्‍सप्रेस ट्रिब्‍यून’ की रिपोर्ट कहती है कि मेन लाइन -1 परियोजना को लेकर आशंकाओं के बादल मंडराने लगे हैं। वहीं पाकिस्‍तानी प्रधानमंत्री इमरान खान का कहना है कि चिंता की बात नहीं है। यह परियोजना पाकिस्तान और चीन के संबंधों में एक नए अध्‍याय की शुरुआत करेगी।

ख्‍याली पुलाव पका रहे इमरान 

पाकिस्‍तानी प्रधानमंत्री ने मेन लाइन -1 (ML-1) रेल परियोजना पर बीते 28 दिसंबर को आयोजित एक समीक्षा बैठक में कहा था कि इस प्रोजेक्‍ट के पूरा होने के बाद पाकिस्तानी बंदरगाह सड़क मार्गों से बेहतर तरीके से जुड़ेंगे जिससे देश में बने सामान समय पर अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचेंगे। इससे पाकिस्तान को विदेशी मुद्रा अर्जित करने में मदद मिलेगी लेकिन असलियत कुछ और ही है। हालात ऐसे हैं कि आर्थिक रूप से कंगाल हो चुके पाकिस्‍तान को चलाने के लिए इमरान खान को भारी भरकम कर्ज लेने पड़ रहे हैं।

पांच महीनों में 17 अरब रुपए का घाटा 

मौजूदा वक्‍त में चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना यानी सीपीईसी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को ध्‍वस्‍त करने का काम कर रही है। आलम यह है कि स्‍थानीय लोग इस परियोजना का विरोध कर रहे है और पाकिस्‍तान की हुकूमत विरोध को दबाने के लिए मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन कर रही है। आंकड़े बता रहे हैं कि पाकिस्तान रेलवे का घाटा पिछले पांच महीनों में 17 अरब रुपए पर पहुंच चुका है। बीते एक साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो इसे 35-40 अरब रुपए का नुकसान हो चुका है। पांच वर्षों में यह घाटा 187 अरब रुपए का है… 

उम्‍मीदों के सहारे रेलवे 

पाकिस्‍तान के नए रेलमंत्री आजम खान स्‍वाती (Azam Khan Swati) की ओर से साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक बीते 50 वर्षों में पाकिस्‍तान रेलवे को हुए कुल 1.2 ट्र‍िलियन रुपये के घाटा हुआ है। पाकिस्‍तान रेलवे हर साल करीब 35 से 40 अरब रुपये के घाटे में चल रही है। अब जब चीन भी कर्ज देने से आनाकानी कर रहा है इमरान खान को समझ नहीं आ रहा कि वे रेलवे को किस तरह चलाएं। पाकिस्‍तानी अखबार डॉन ने लिखा है कि ऐसे में जब सरकार ने सभी मालदार सेक्‍टर चीन की झोली में डाल दिए हैं उम्‍मीद की जानी चाहिए पेशावर को कराची से जोड़ने वाली मेन लाइन-1 के अपग्रेडेशन पर 6.8 अरब डॉलर का निवेश भी हो..! 

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