लॉकडाउन के बाद से स्कूलों द्वारा अभिभावकों पर स्कूल फीस भरने को लेकर लगातार दबाव बनाया जा रहा है। कभी ऑनलाइन क्लास के नाम पर तो कभी ट्यूशन फीस के नाम पर। अभिभावक स्कूलों की मनमानी के खिलाफ अब सड़क पर उतर रहे हैं। शनिवार को भी रीगल चौराहा पर चोइथराम स्कूल के खिलाफ अभिभावकों ने मौन प्रर्दशन किया। अभिभावकों का कहना है कि चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम पर हर तरह की सुविधा और करों में छूट का लाभ प्राप्त किया जाता है। ऑनलाइन क्लास से वंचित करने का बोल कर मानसिक दबाव बनाया जा रहा है। फीस के नाम पर एक रुपए कम नहीं किए, ऊपर से ऑनलाइन के नाम पर खर्च और बढ़ा दिया। एक लैपटाॅप खरीदने जाओ तो 40 से 50 हजार रुपए का। ऊपर से इंटरनेट कनेक्शन का खर्च अलग से।
अभिभावक वनीता ने बताया कि हम यहां चोइथराम स्कूल से फीस में कटौती की मांग करते हुए प्रदर्शन कर रहे हैं। 500 से ज्यादा अभिभावकों ने चोइथराम स्कूल को एक आवेदन देकर कहा था कि हमें फीस में 75 फीसदी कटौती चाहिए। इसे आग्रह को उन्होंने तत्काल ही रिजेक्ट कर दिया। अपनी आवाज सरकार और प्रबंधन को पहुंचने के लिए हम यहां पर आए हुए हैं। स्कूल ट्यूशन फीस में ही खाना, कंप्यूटर, कोर्स सबकुछ इसी में जोड़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ऑनलाइन क्लास एक घंटे की होती है। पहले के मुकाबले एक्टिविटी 25 फीसदी रह गई है। ऐसे में फीस भी उसके अनुसार ही वसूलनी चाहिए। ट्रांसपोर्टेशन को छोड़कर हमसे पूरी फीस ली जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि हमारे पास लैपटॉप या कंप्यूटर नहीं है तो उसे खरीदने के लिए 40 से 50 हजार रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। यदि किसी के घर में दो बच्चे हैं तो एक लाख रुपए सीधे-सीधे खर्च हो रहे हैं।
हर कोई अपने घर में वाइफाई लगाकर नहीं रखता है, ऐसे में यह खर्च अलग बैठ रहा है। वे कहते हैं कि मोबाइल से पढ़ लो, लेकिन उससे पढ़ाई नहीं हो पाती। कई अभिभावकों से हमने बात की, उनका कहना है कि लोन लेकर हमने लैपटॉप की व्यवस्था की है।
अभिभावक गोविंद सिंह परिहार का कहना है कि स्कूल वाले ऑनलाइन के नाम पर पूरी फीस वसूल रहे हैं। जब पढ़ाई हो ही नहीं रही है तो फिर फीस क्यों ली जा रही है। हमारी मांग है कि लॉकडाउन में पढ़ाई नहीं हुई इसलिए स्कूल की फीस माफ हो।