कलेक्टर ने राजस्व मामलों की सुनवाई कर आदेश जारी करने पर लगा दी रोक

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इंदौर :जिले में संक्रमण काल में हुए लॉकडाउन के समय बोझ के कारण राजस्व के मामलों का निदान नहीं हो पाया। उसके बाद अनलाक के बाद सर्वेक्षण में लगे होने से पटवारी से लेकर एसडीएम तक कार्यालय में समय नहीं दे पा रहे थे। कलेक्टर ने सर्वेक्षण से निपटने के बाद उनके बोर्ड पर लंबित मामलों को लेकर मौखिक निर्देश देकर मामलों के निदान करने व अन्य राजस्व मामलों की सुनवाई कर आदेश जारी करने पर रोक लगा दी है। कलेक्टर मनीष सिंह के मौखिक निर्देश के चलते लोक सेवा व अन्य जगह आरसीएमएस के माधयम से नए आवेदन दर्ज ही नहीं किए जा रहे हैं। हर कोई सर्वर के काम नहीं करने की बात कहकर टालता नजर आ रहा है। अन्य जिलों से मिली जानकारी के अनुसार पोर्टल पर काम पहले की तरह ही यथावत जारी है। संक्रमणकाल से लेकर अभी तक सर्वर में किसी तरह की परेशानी नहीं आई है। अन्य जिलों में आवेदन दर्ज होने के साथ ही निराकरण भी किया जा रहा है। इंदौर में पोर्टल पर संख्या न बढ़े इसके लिए आवेदन दर्ज करने से रोका गया है। अधिकारी जिन मामलों की सुनवाई कर चुके हैं और उनका निराकरण ऑनलाइन करना है। उसे भी पोर्टल पर दर्ज नहीं कर पा रहे हैं। इसी तरह पटवारी और राजस्व निरीक्षक भी सुधार या गिरदावरी का काम ऑनलाइन नहीं कर रहे हैं। जिले में सभी राजस्व के मामलों के आवेदन और निराकरण का कार्य अगस्त माह के दूसरे सप्ताह के बाद से ही आरंभ होंगे। अगस्त माह के दूसरे सप्ताह में सांवेर उपचुनाव को लेकर आचार संहिता लागू होने के बाद फिर से कलेक्टर इन कार्यों को रोककर अधिकारियों को अन्य जिम्मेदारी संभालने को कहकर किसानों को भटकने को मजबूर करेंगे। वर्तमान में राजस्व से जुड़े वे मामले जो सरकार के निर्देश पर जरूरी हो गए , उनका कार्य ही किया जा रहा है। मुआवजा और अन्य मामलों को लेकर निर्देश देकर वे तत्काल निराकरण ऑनलाइन करवाने में लगे हैं। उपचुनाव के चलते इस तरह के कार्यों को लेकर मुख्यमंत्री व इंदौर के मंत्री सिलावट की नाराजगी का सामना न करना पड़े, इसके चलते वे इन निर्देशों का पालन तेजी से करवा रहे हैं।

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