इंदौर :जिले में हर मामले में प्रशासन के निर्णय के बजाय सीधे सांसद और मंत्री का हस्तक्षेप होने से अधिकरी निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। तबादला करते ही सिफारिश करने से उसे निरस्त करना पड़ता है। हर छोटे -बड़े निर्णय में दोनों का हस्तक्षेप देखने को मिल रहा है। सांसद व उनके निजी सहायक के साथ ही भाई भी फोन पर अधिकारियों को जानकारी देकर आदेश कराने का काम कर रहे हैं। कई अधिकारी व पटवारी के तबादले उनके कहने पर ही किए जा रहे हंै। अब बाबुओं के कार्य क्षेत्र को लेकर भी वे हस्तक्षेप करने का प्रयास करते नजर आ रहे हैें।
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