58 साल बाद कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक; सोनिया, राहुल और प्रियंका गुजरात पहुंचे

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लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के दो दिन बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य में कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक होने जा रही है। कार्यसमिति की बैठक में लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस अपनी रणनीति को अंतिम रूप देगी और प्रचार अभियान का बिगुल फूंकेगी। मंगलवार को होने वाली कांग्रेस की यह बैठक 58 साल बाद हो रही है, इससे पहले 1961 में हुई थी। राजनीति में सक्रिय होने के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पहली बार इस सार्वजनिक रैली को संबोधित कर सकती हैं। 

जन संकल्प रैली में शामिल होंगे सोनिया-राहुल
कांग्रेस प्रदेश इकाई के प्रमुख अमित चावड़ा ने कहा- कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद गांधीनगर के अडालज में राहुल गांधी, सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह समेत कांग्रेस के तमाम वरिष्ठ नेता जनसंकल्प रैली में हिस्सा लेंगे।

राहुल की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल होंगे हार्दिक पटेल
पाटीदार आरक्षण को लेकर आंदोलन से सुर्खियों में आए हार्दिक पटेल कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव में उतर सकते हैं। राहुल की मौजूदगी में हार्दिक पटेल पार्टी में शामिल होंगे। महात्मा गांधी और सरदार पटेल की धरती से कांग्रेस पूरे देश को एक मजबूत संदेश देना चाहती है। 

लोकसभा की रणनीति तैयार करेंगे वरिष्ठ नेता
11 अप्रैल से लोकसभा चुनाव का पहला चरण शुरू हो जाएगा। राहुल गांधी, सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस के तमाम वरिष्ठ नेता चुनाव के महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श कर रणनीति तैयार करेंगे। बैठक में कृषि, आर्थिक संकट, बेरोजगारी, महिला सुरक्षा के मुद्दों पर नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को हटाने पर भी चर्चा होगी।

गांधी आश्रम में प्रार्थना सभा
कार्यसमिति की बैठक के पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता एक प्रार्थना सभा में हिस्सा लेने के लिए अहमदाबाद के गांधी आश्रम जाएंगे और महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देंगे। 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से महात्मा गांधी ने ऐतिहासिक दांडी यात्रा शुरू की थी। 2019 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के तौर पर भी मनाया जा रहा है। 

वादे पूरे नहीं कर पाई मोदी सरकार 
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि पांच साल में नरेंद्र मोदी ने अपना वादा पूरा नहीं किया। लोगों को केवल मूर्ख बनाया। पांच साल की सत्ता के दौरान गरीबों, बेरोजगारों और किसानों को दुख दिया है, जिसे चुनावी मुद्दा बनाने की जरूरत है।

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