वन विभाग इस बार भी टेशू के फूलों से हर्बल गुलाल शहरवासियों को उपलब्ध करा रहा है, जिसकी बिक्री जल्दी से शुरू की जाएगी। वन विभाग प्रति पैकेट बीस रूपए की राशि लोगों से लेगा। हालांकि फूलों की कमी के चलते विभाग कम मात्रा में ही गुलाल बना पाया है। रंगो के त्योहार होली में केमिकल से बने कलर रंग में भंग डालने का काम करते है। इन रंगों से होली खेलने से त्वचा से संबंधित कई बीमारियां होती है। केमिकल रंगों के दुषप्रभाव को देखते हुए लोग अब होली खेलने में हर्बल गुलाल का प्रयोग करने लगे। इसी को ध्यान में रखते हुए। धार वन मंडल से गुलाल मंगवाया है। हालांकि इस बार वन विभाग ने चोरल रेंज में प्लांट स्थापित कर टेशू के फूलों से गुलाल बनाने का कार्य नहीं किया। अधिकारियों का कहना है कि इस बार ठंड का मौसम देरी से गया, जिसके कारण हम चोरल रेंज में गुलाल नहीं बन पाए। हालांकि विभाग ने धार रेंज से डेढ़ क्विंटल गुलाल तैयार करवा लिया है। इसकी ब्रिकी नवरतन बाग स्थित कार्यालय से की जाएगी। प्रति पैकेट वन विभाग 30 रूपए लोगों से लेगा। गुलाल की डिमांड को देखते हुए वन विभाग ने इस वर्ष 12 क्विंटल गुलाल बनाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन टेशू के फूल उपलब्ध ना होने से इस बार वन विभाग गुलाल बनाने में पीछे रह गया है।