- टीडीपी के 4 राज्यसभा सांसदों ने गुरुवार को पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया, सभी बीजेपी में शामिल हो गए
- 35 बार में टीडीपी तीसरी बार ऐसे राजनीतिक संकट का सामना कर रही है, जब उनके मुखिया विदेश दौरे पर हैं
- इससे पहले 1984 और 1995 में टीडीपी को इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ा था, तब एनटीआर मुखिया थे
टीडीपी गलियारे में अगस्त महीने को साधारण तौर पर अपशकुन के रूप में देखा जाता है क्योंकि इसी महीने पार्टी के संस्थापक एनटी रामाराव को दो बार मुख्यमंत्री पद गंवाना पड़ा था। इस बार टीडीपी के दरवाजे यह राजनीतिक संकट दो महीने पहले आ गया है।
हैदराबाद : तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) 35 साल में एक बार फिर ‘विदेशी’ मुसीबत का सामना कर रही है। 1982 में पार्टी के गठन के बाद से ऐसा तीसरी बार हुआ है जब टीडीपी गंभीर राजनीतिक संकट से जूझ रही है। दरअसल गुरुवार को टीडीपी के चार राज्यसभा सांसदों ने गुरुवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी में शामिल हो गए। यह सब तब हुआ जब टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू यूरोप में छुट्टियां मना रहे हैं। इससे पहले भी दो बार पार्टी के मुखिया विदेशी दौरे या राजधानी से दूर रहे तो पार्टी को संकट का सामना करना पड़ा था। टीडीपी गलियारे में अगस्त महीने को साधारण तौर पर अपशकुन के रूप में देखा जाता है क्योंकि इसी महीने पार्टी के संस्थापक एनटी रामाराव को दो बार मुख्यमंत्री पद गंवाना पड़ा था। इस बार टीडीपी के दरवाजे यह संकट दो महीने पहले आया है। हालांकि पहले दो मौकों में पार्टी ऐसी स्थिति से बाहर आ गई थी और एनटी रामाराव के नेतृत्व में एक बार सरकार भी बनाई थी। टीडीपी ने अगस्त 1984 में पहली बार राजनीतिक संकट का सामना किया। रामा राव तब मुख्यमंत्री थे और हार्ट सर्जरी के लिए यूएसए गए थे। उनकी अनुपस्थिति में उनके कैबिनेट के साथी एन भास्कर राव ने सरकार गिराने की योजना बनाई और इसे अंजाम भी दिया। खैर, रामा राव की मजबूती यह भी कि वह राज्य विधानसभा में दबदबा रखते थे लेकिन फ्लोर टेस्ट के लिए उन्हें सड़क पर उतरना पड़ा था। भास्कर राव ने एक महीने बाद इस्तीफा दे दिया और रामा राव फिर से मुख्यमंत्री नियुक्त हुए।
नायडू ने एनटीआर की अनुपस्थिति में किया था राजनीतिक आघात
दूसरा राजनीतिक संकट अगस्त 1995 में आया तब रामाराव श्रीकाकुलम में सरकार का एक कार्यक्रम लॉन्च कर रहे थे। तब उनके दामाद और तत्कालीन राजस्व मंत्री चंद्रबाबू नायडू ने तख्तापलट करके एनटीआर को अपदस्थ कर दिया था। नायडू ने तब अविभाजित आन्ध्र प्रदेश की बागडोर संभाली। इसके बाद रामा राव ने एक अलग पार्टी एनटीआर टीडीपी बना डाली लेकिन जनवरी 1996 में उनका निधन हो गया। उसी साल मई में लोकसभा चुनाव होने थे।
चार सांसद बीजेपी में शामिल
गुरुवार को टीडीपी के कुल 6 राज्यसभा सांसदों में से चार सांसद बीजेपी में शामिल हो गए। इससे पहले उन्होंने टीडीपी के बीजेपी में विलय का प्रस्ताव पारित किया, जिस पर बीजेपी ने फौरन मुहर लगा दी। शाम में बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने टीडीपी के तीन राज्यसभा सांसदों को पार्टी में औपचारिक तौर पर शामिल कराया। एक राज्यसभा सांसद तबीयत खराब होने के कारण प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हुए।
बीजेपी में शामिल होने वाले राज्यसभा सांसद हैं- टीजी वेंकटेश, सीएम रमेश, वाईएस चौधरी और जीएम राव। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि लंबे समय से इन सांसदों के मन में विचार आ रहा था कि पीएम मोदी के नेतृत्व में जिस तरह देश आगे जा रहा है और आंध्र प्रदेश के विकास के लिए इन्हें बीजेपी में शामिल हो जाना चाहिए।
चंद्रबाबू बोले, संकट पार्टी के लिए नया नहीं
चार सांसदों के बीजेपी जॉइन करने पर TDP अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि पार्टी के लिए संकट कोई नई बात नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हम बीजेपी के साथ केवल विशेष राज्य के दर्जे और आंध्र के हितों के लिए लड़े। स्पेशल स्टेटस के लिए हमारे केंद्रीय मंत्रियों ने पद छोड़ दिया।’ उन्होंने कहा कि हम टीडीपी को कमजोर करने के बीजेपी के प्रयासों की निंदा करते हैं। उन्होंने यह भी कहा, ‘क्राइसिस पार्टी के लिए नई नहीं है। नेताओं और काडर को इससे हतोत्साहित होने की जरूरत नहीं है।’