पारिवारिक न्यायालय ने पुरुषों के प्रति सुनाया ऐतिहासिक फैसला

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इंदौर पारिवारिक न्यायालय ने पुरुषों के प्रति ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए पति का तलाक मंजूर किया है। परिवारिक न्यायालय ने पत्नी द्वारा पति पर लगाए गए आरोप और ससुर के खिलाफ लगाए गए मौखिक आरोप के कोई सबूत नहीं मिलने पर पति द्वारा लगाए गए तलाक के केस में तलाक को मंजूर किया है। पारिवारिक न्यायालय ने माना कि सिर्फ आरोप लगाने से किसी आरोप की पुष्टि नहीं होती है। पीड़ित पुलिसकर्मी पति के अभिभाषकगण कृष्ण कुमार कुन्हारे ने बताया कि बिचैली मर्दाना इंदौर निवासी पुलिसकर्मी पीड़ित पति का विवाह 17 अपैल 2003 को इंदौर के एरोड्रम क्षेत्र स्थित युवती से हुआ था। जहां पर पत्नी द्वारा विवाह के उपरान्त गृह कलेश कर ससुरालजनों से विवाद किया जाने लगा। पीड़ित पर अलग मकान में रहने के लिए दबाव डाला जाने लगा। परिवार ना बिगड़े इस कारण पीड़ित पति अपनी पत्नी से अलग रहने लगा। इसके बाद भी पत्नी के व्यवहार में कोई परिवर्तन नही आया और पति की 2012 में पुलिस में नौकरी लग गई। जिसके बाद पत्नी द्वारा मायके वालो के साथ मिलकर पति और ससुरालजनों के मकान अपने नाम करने का बोलने लगी। झूठी पुलिस शिकायते करना, पत्नी की गलत मांग नहीं मानने पर ससुर पर झूठे आरोप लगाने लगी। पति के अन्य महिलाओ से अवैध संबंध होने का झुठा आरोप लगाकर इंदौर पुलिस जनसुनवाई में झूठी शिकायतें कर ससुरालजनों को बदनाम करने लगी। इन सब हरकतों से परेशान होकर पीड़ित पति कोर्ट में 2015 में वकील के माध्यम से तलाक का केस लगाया। जहां पर पत्नी ने झूठे आरोप लगाए, एक साल बाद पति के साथ रहने की याचिका बगैर आरोप लगाए पेश की, जिस पर दोनों केस की एक साथ सुनवाई के दौरान पत्नी ने अपने जवाब के परे जाकर पति पर कई संगीन और नए आरोप लगाए। जिस पर कोर्ट ने पत्नी की पति के साथ रहने की याचिका खारिज कर दी। पति द्वारा पेश तलाक याचिका में वरिष्ठ न्यायालयो की कुल 37 नजीरों को हवाला देते हुए कोर्ट ने फैसले में ससुर पर बुरी नियत का, पीड़ित पति के साथ पत्नी द्वारा किया गया व्यवहार को क्रूरतापूर्ण बताया। इसी को लेकर पारिवारिक न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए पत्नी द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए पति के तलाक की याचिका को स्वीकृति दिया।

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